---

शनिवार, 6 जनवरी 2024

3997...परदा होता है जब प्रतीक मर्यादा व लज्जा का ,अच्छा होता है

 सादर अभिवादन

भीतर के "मैं" का मिटना ज़रूरी है.... !
सुकरात समुद्र तट पर टहल रहे थे। उनकी नजर तट पर 
खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी।
वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा , -''तुम क्यों रो रहे हो?''
लड़के ने कहा- 'ये जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमें इस समुद्र को भरना चाहता हूँ 
पर यह मेरे प्याले में समाता ही नहीं।''
बच्चे की बात सुनकर सुकरात विस्माद में चले गये और स्वयं रोने लगे।
अब पूछने की बारी बच्चे की थी।
बच्चा कहने लगा- आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आपका प्याला कहाँ है?'
अब रचनाएं देखिए




परदा होता है जब
प्रतीक मर्यादा व लज्जा का ,
अच्छा होता है .
परदा चाहे साड़ी या चुन्नी का हो
या हो फिर आँखों का .
लेकिन
परदा गिरना आँखों पर




अभी अभी तो जगा नींद से
अभी अभी फिर सो गया दिन !

कितना छोटा हो गया दिन !

जाड़े का ये कैसा जादू
सूरज पर है इसका काबू
शाल - दुशाले, दुलई - कंबल
ओढ़ के मोटा हो गया दिन !





रास लीला के समय
सुना है कुछ ऐसा ही हुआ था
गोपियां
थी तो सही कहीं
पर उन्हें पता ही नहीं था
https://ulooktimes.blogspot.com/2024/01/blog-post_4.html




मनोबल को रखें उन्नत।
सदा जिनसे हुयें आहत।।
करें उनका पराक्रम क्षय।
मिलेगी जीत बिन संशय।।

उदंडी दंड को पायें।
धरा का न्याय अपनायें।।
रहे मन में न अब दूरी ।
'नमन' यह चाह हो पूरी।।


लकड़ी की औकात नहीं होती, पर लकड़ियों के गट्ठर की होती है। खुले हाथ की कोई औकात नहीं होती, कोई भी उंगली तोड़ सकता है। लेकिन बंद मुट्ठी और मुक्के की बहुत औकात होती है। ये सब मजदूर, कर्मचारी, किसान, दुकानदार, मेहनतकश जब इकट्ठा हो कर गट्ठर और मुट्ठी हो जाते हैं। जब वह मुट्ठी तन कर मुक्का हो जाए तो तो सर्वशक्तिमानों को पैदल दौड़ा देती है।

आज बस
कल फिर
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात!
    सुंदर विमर्शपूर्ण रचनाओं से सज्जित सुंदर पठनीय अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. यशोदा जी , सारे ब्लॉग देखे रचनाएं पढ़ीं . अच्छा चयन किया है आपने . मेरी रचना भी शामिल की गई है इसके लिये बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलीं। बेहतरीन अंक। मेरी छोटे से दिन की छोटी सी कविता को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया दीदी।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।