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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

3989...नववर्ष का आगाज़

शुक्रवार अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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यूँ तो हर दिन नया,  हर पल नवीन है। समय के घूमते पहिये में तारीखों के हिसाब से फिर एक साल जा रहा है और नववर्ष दस्तक दे रहा है। 

वक्त के पहियों में बदलता हुआ साल
जीवन की राहों में मचलता हुआ साल
चुन लीजिए लम्हें ख़ुशियों के आप भी
ठिठका है कुछ पल टहलता हुआ साल
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आइये वर्तमान कैलेंडर वर्ष के शुक्रवार की अंतिम प्रस्तुति
की रचनाएँ पढ़ते हैं-

  बातें करिए

प्रतिस्पर्धा कहीं है ही नहीं
मुकाबला करने आने वाले की
मुट्ठी गरम कर उसे
गीता का ज्ञान दिया जाएगा
एक ही चेहरे के साथ जीने वाले को
नरक ज्ञान की आभासी दुनियाँ
से भटका कर स्वर्गलोक में
होने का आभास
बातों से ही दे दिया जाएगा



अनकहा

ह्रदय टूक-टूक ..
छटपटाता है,
बार-बार 
पछाड़ खाता है,
पर एक शब्द भी 
कह नहीं पता है ।
अवाक .. टटोलता है  
अपनों की आँखें ..


प्रेम में जिया हुआ पल अरसे बाद अचानक आपके जहन में परिस्थितियाँ पाकर उभरती ही हैं। फ़िर मसला अनुभूति को लेकर है, व्यक्ति विशेष बहुत पीछे छूट चुका होता है। यही होना भी चाहिए। प्रेम अनुभूति से ही होनी चाहिए, व्यक्ति विशेष से तो बिल्कुल नहीं। इतने कम समय के जीवन में आप कुछ ही लोगों के इर्द-गिर्द जीवन को समेटने का जोख़िम क्यों लेंगे ? बताइए ?
और ये भी है कि हम मनुष्यों ने ऐसे कारनामे तो किए ही हैं कि निर्मल वर्मा जैसा इंसान ईश्वर को धरती पर आने से अगाह कर रहा है।


सुबह की आहट से फैली थी जो रौशनी 
हर तरफ का नज़ारा गज़ब था दिखा 
हवाओं में थोड़ी सी ठिठुरन भी थी 
रात सपने में जो हमने देखा था कल 


नयी विचारधारा के साथ नववर्ष का आगाज़


पुराने जमाने यानि 100 -200 साल पहले के भी कितने ही किस्से-कहानियों में ये वर्णित है कि -माँ-बाप के जरूरत से ज्यादा तानाशाह और महत्वकांक्षा ने कितने ही बच्चों की ज़िंदगियाँ बर्बाद कर दी।70 के दशक तक भी माँ-बाप को देवता मानकर उनकी हर आज्ञा को शिरोधार्य किया जाता था। भले ही वो दिल से ना माना जाये मगर, उनके आज्ञा की अवहेलना करना पाप ही समझा जाता था। हमारी पीढ़ी ने भी माँ-बाप की ख़ुशी और मान-सम्मान के लिए ना जाने कितने समझौते किये। जबकि उस वक़्त में भी माँ-बाप के गलत निर्णय और जरुरत से ज्यादा सख्ती के कारण कितने ही बच्चों ने आत्महत्या तक कर ली और आज भी करते हैं । 

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आज के लिए तीन ही
मिलते हैं अगले अंक में
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6 टिप्‍पणियां:

  1. वक्त के पहियों में बदलता हुआ साल
    जीवन की राहों में मचलता हुआ साल
    चुन लीजिए लम्हें ख़ुशियों के आप भी
    ठिठका है कुछ पल टहलता हुआ साल
    नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं
    की समाहित यह अंक अच्छा लगा
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात, सराहनीय रचनाओं का सुंदर प्रस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर सराहनीय अंक मेरी रचना को भी साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. वक्त के पहियों में बदलता हुआ साल
    जीवन की राहों में मचलता हुआ साल
    चुन लीजिए लम्हें ख़ुशियों के आप भी
    ठिठका है कुछ पल टहलता हुआ साल
    सारगर्भित भूमिका एवं बहुत ही सुंदर मुक्तक के साथ लाजवाब प्रस्तुति... सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय ।

    जवाब देंहटाएं

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