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बुधवार, 20 दिसंबर 2023

3980...अलसाई - सी धूप..

।।प्रातः वंदन।।

 "कुहरे की झीनी चादर में

यौवन रूप छिपाये
चौपालों पर
मुस्कानों की आग उड़ाती जाये
गाजर तोडे
मूली नोचे
पके टमाटर खाये
गोदी में इक भेड़ का बच्चा
आँचल में कुछ सेब
धूप सखी की अँगुली पकड़े
इधर-उधर मँडराये"

-निदा फाज़ली
बदलते मौसमों के मिज़ाज चमकीली धूप, ठंडी -ठंडी हवाओं से संग , शब्दों के अलग-अलग अंदाज से रूबरू होइए..✍️


सर्द हस्ताक्षर 

आगाज़ गुलाबी ठंड का,ओंस से नहाई धानी अंज,कंज लिए महिना दिसंबर हो चला,


हाथों में अदरक की सोंधी खुशबू से भरी एक कप चाय लिए महिना दिसंबर हो चला ,

🏵️


आज एक नवगीत : सर्दी के नाम

छत पर आकर बैठ गई है,

अलसाई-सी धूप।

सर्द हवा खिड़की से आकर,

मचा रही है शोर।

काँप रहा थर-थर कुहरे के,
🏵️



कि ज़िन्दगी तासीर ए संदल हो जाए,

बियाबां के सुलगते राहों में इक दस्त

ए शफ़्फ़क़त भरा आँचल हो जाए,

इक अधूरी लकीर ए तिश्नगी, जो 

गुज़रती है दिल की राहों से कहीं दूर,
🏵️

आगम शास्त्र की विषय वस्‍तु यही है कि पत्थर को ईश्वर कैसे बनाया जाये, इसका आध्यात्मिकता से क्या है संबंध


 




आगम शास्त्र हमें मन्दिरों की संरचना से लेकर योजना, वास्तुकला

 तथा पूजा की विधि के बारे में सब कुछ बताते हैं ।  मंदिर बनाने 

के इस प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में आज हम आपको 

बताते हैं, एक ऐसा विज्ञान जिसके जरिये आप पत्थर

 जैसी स्थूल वस्तु को एक सूक्ष्म ऊर्जा में रूपांतरित कर सकते हैं।

.आगम शास्त्र की विषय ..

🏵️

मन मयूर नृत्य करता हो कर तन्मय

कोई खुशी मन में ना रहे शेष

यही दुआ करता प्रभु से

खुद नाचता झूम झूम प्रकृति में |

तब कोई उदास दिखाई ना देता

।। इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

🏵️


2 टिप्‍पणियां:

  1. कोई खुशी मन में ना रहे शेष
    यही दुआ करता प्रभु से
    शानदार अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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