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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

3978 .....एक ही कमी थी उसमें कि वह सुन्दर बहुत थी

 सादर अभिवादन

आज गुरु घासीदास जी की जयंती है
छत्तीसगढ़ का बड़ा उत्सव
बहुत ही उल्हास पूर्वक मनाया जाता है
सरकारी छुट्टी रहती है....
अब रचनाएं पढ़िए ...



ऊपर आसमां नीचे जमी थी,
प्याली चाय की हाथों में थमी थी,
पर आंखों में अब भी नमी थी ,
मन में भी एक बर्फ जमी थी,
सर्द शाम में उनकी जो कमी थी ।




मेरी जिद्द है तुझे पाने की, 
मेरे हाथों में हैं नए रंग
खुला हुआ है ज़िन्दगी का एक नया पन्ना
काफी है मुझे उम्र भर के लिए ...




गाँव से निकलते ही वह पेड़ है,
जहाँ वह लटक गई थी 
या लटका दी गई थी,
उसके गले में वही चुन्नी थी,
जिसे ओढ़कर वह घूमा करती थी,
एक ही कमी थी उसमें 
कि वह सुन्दर बहुत थी. 





जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान
किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।
दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार
सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।




कभी शबनमी-सी रात कभी,
भीगी-भीगी चांदनीं से होते हैं 
कभी मुझपे गजल वो कहते हैं,
तो कभी मुझे गजल-सा कहते हैं।
उनकी तारीफ की अदा..

           
आज बस
कल सखी श्वेता जी आएंगी
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. सादर अभिवादन 🙏
    एक से बढ़कर एक रचनाओं का सुंदर संकलन। लिंकों को जोड़कर बने इस अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन। हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. एक से बढ़कर एक सुंदर रचनाओं का संकलन ,सादर नमन दी

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय मेम ,
    मेरी लिखी रचना "सर्द शाम में एक चाय " को इस गरिमामय मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर लिंक संयोजन … आभार मेरी रचना को शामिल किया आपने …

    जवाब देंहटाएं

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