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बुधवार, 6 दिसंबर 2023

3966 ..सर्दियाँ तब भी थी जो बेहद कठिनाइयों से कटती थीं

 सादर अभिवादन

आज छत्तीसगढ़ मे सत्ता पलट गई
नए मुख्य मंत्री की घोषणा होने को है
सनातनी लोग आ गए ....
.....
शादी में गोरखपुर आई हूं।
प्रस्तुति इस बार देख लीजिएगा
-पम्मी सिंह
रचनाएं देखे ...  



भले आप रोज ना लिखें
एक पन्ना कहानी का
एक पंक्ति कविता
एक अध्याय उपन्यास




बहुत कुछ हो कर भी कुछ भी न था 
हमारे दरमियां, चंद लफ़्ज़ों का था अफ़साना,
उम्र भर खोजते रहे जिसका उन्वान,
दूर रह कर भी बहुत गहरी थीं
दिल की नज़दीकियां ।




जहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
जहाँ हर मौसम होली ,फाग ,
जहाँ फूलों में इत्र सुवास
जहाँ उद्धव जी का परिहास ,
जहाँ संतो का सुख हरिनाम
वही है वृन्दावन का धाम |

                                                   



किनारा उसकी आँचल ओढ़नी छाँव का l
इबादत सजी पतित पावनी गंगा साज का l

नीलाम्बर उमंगों प्रार्थना सजी भाव का l
अर्ध आकार जिसमें निश्चल प्रेम साज का l




मुझे  छंदों का ज्ञान नहीं
ना ही मुझे मीटर का बोध
कभी बड़ी कमी लगती है
लेखन मैं  परिपक्वता आई नहीं




सर्दियाँ तब भी थी
जो बेहद कठिनाइयों से कटती थीं,
सर्दियाँ आज भी हैं,
जो आसानी से गुजर जाती हैं.

           
आज बस
कल मिलिएगा रवीन्द्र भाई से
सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! एक से बढ़कर एक पठनीय रचनाओं की खबर देता सुंदर अंक, बधाई यशोदा जी !

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