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सोमवार, 4 दिसंबर 2023

3964 ..ये खाते, ये पीते, ये सोते जवां

 सादर अभिवादन

आज छत्तीसगढ़ में सत्ता पलट गई
शुभ कामनाएं
रचनाएं देखे ...  



ये क्या बात है गाँव की सादगी में
के खुश हो रहे हैं हर हाल ही में
ये बेख़ौफ़ नज़रें, ये उन्मुक्त राहें
हमें कह रही हैं कहाँ दुख बता




सूखे पीले पत्ते बिछे सारी  राह में
हवा के साथ में  बह चले
धूल धक्कड़ होती  चारो ओर
वहां खड़े रहना होता मुश्किल |
पतझड़ का मौसम बड़ा अजीब  लगता
सूखी डालियाँ नजर आतीं
वन वीरान होते जाते




देखते-देखते भोपाल गैस त्रासदी के 39 बरस बीत गए।हर वर्ष तीन दिसंबर गुजर जाता है और उस दिन मन में कई सवाल उठते हैं, जो अनुत्तरित रह जाते हैं। हमारे देश में मानव जीवन कितना सस्ता और मृत्यु कितनी सहज है, इसका अनुमान उस विभीषिका से लगाया जा सकता है, जिसमें हजारोें लोग अकाल मौत के मुँह में चले गए और लाखों लोग प्रभावित हुए। वह त्रासदी जहाँ हजारों पीडि़तों का शेष जीवन घातक बीमारियों, अंधेपन एवं अपंगता का अभिशाप बना गई तो दूसरी ओर अनेक घरों के दीपक बुझ गए। न जाने कितने परिवार निराश्रित और बेघर हो गये, जिन्हें तत्काल जैसी सहायता व सहानुभूति मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली।




ख़ुद से जो हुआ प्रेम तो छोड़ा नहीं गया.
इक आईना था हमसे जो तोड़ा नहीं गया.

बेहतर तो यही होगा के खुद को समेट लें,
पथ तेज़ बवंडर का जो मोड़ा नहीं गया.

यह इश्क़ अधूरा ही न रह जाए उम्र भर,
नदिया को समुन्दर से जो जोड़ा नहीं गया.

आज बस
कल मिलिएगा सखी श्वेता से
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स से सजा आज का यह अंक |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  2. दिगंबर नासवा5 दिसंबर 2023 को 6:50 am बजे

    सभी लिंक्स कमाल के रचनाकारों के … आभार मुझे शामिल करने के लिए …

    जवाब देंहटाएं

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