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बुधवार, 15 नवंबर 2023

3945 ...प्लास्टिक का संकट किसी एक देश का नहीं है

 सादर अभिवादन

बुधवार को ही मिलेगी पम्मी सखी
पर वो भी केदारनाथ में,
मैने भी उन्हें सवा पांच रुपए का
प्रसाद चढ़ाने को कहा है

काश हिंदुओं का भी कोई देश होता
नदी का किनारे योग होता
राम राम रोज होता
सुंदर सजे शिवालय होते
अयोध्या में उजियाले होते
बंसी के सुर से मथुरा सजती
कल-कल स्वर में जमुना बहती
मुसलमान ना होता तो
जिहाद भी न होता,
न मंदिर टूटते और ना
हमारी बहन-बेटियों का
धर्म परिवर्तन होता
काश हिन्दुओ का भी कोई देश होता
सोचिए केवल हिन्दू राष्ट्र के बारे में
जय भारत

चलिए अब कुछ रचनाए भी पढ़लें



पूर्ण हुआ वनवास राम का,
सँग सीता के लौट रहे हैं
अचरज देख हुआ लक्ष्मण को,
द्वार अवध के नहीं खुले हैं !




मैं हूं जब तक
है तभी तक
ये हसीन दुनिया
मरने के बाद
वादा रहा
इसे देखने ना आऊंगा




हम यह मान भी लें कि प्लास्टिक प्रदूषण में, वर्ष 2040 तक, 80 प्रतिशत तक की अदभुत कमी की जा सकती है, यह एक अच्छा और बेहद जरुरी प्लान है लेकिन इसके क्रियान्वयन पर नीतिगत निर्णय भी जरुरी हैं। यहां विचारणीय प्रश्न यह भी है कि प्लास्टिक का संकट किसी एक देश का नहीं है,




अच्छा नहीं लगा मुझे
कि उजाला ज़्यादा था
पड़ोसी की ड्योढ़ी पर,
जिसने भी दीया रखा,
क्यों नहीं रखा
मेरी ड्योढ़ी पर?





तू कब था मेरा यह सवाल तो बेफिजूल सा है
तेरे नाम पर आज भी तबियत बहक जाती है।

बस यही सोच तेरी चाहत को संभाले रखा है
कि हर दीवार एक न एक दिन दरक जाती है




आज बस
कल  भाई रवीन्द्र जी आएंगे
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

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  2. सबसे पहले सभी रचनाकारों, आयोजकों व पाठकों को भाई दूज के पावन पर्व की बधाई ! आज के शानदार अंक में 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने हेतु आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं

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