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शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

3920...कोई उदास था, तो वह बुढ़िया...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय ओंकार जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

शनिवारीय अंक में प्रस्तुत हैं पाँच रचनाओं के चुनिंदा लिंक-

माता हमको वर दे (कविता)

राष्ट्रप्रेम की उत्कट इच्छा,
अग्नि पथ पर प्रबल परीक्षा।
कोई विपदा आ जाये तो
रण नाद का वारिद स्वर दे।

माता हमको वर दे।

वीणा का तार

यह एकाग्रता है ईश्वर प्रदत्त

है विशेष गुण जन्म से

सभी खुश होते कुछ नया देखकर

तारीफ विशेष होती यह जान कर।

 ७३९. प्रवासी पक्षी

कोई उदास था,

तो वह बुढ़िया,

जिसका प्रवासी पक्षी

इस साल भी

गाँव नहीं आया था.

जिसका न कोई नाम है न चेहरा

मुझे नहीं दिखती किसी की भूख बेरोजगारी या शापित जीवन नहीं दिखता किसी स्त्री पर अत्याचार बलात्कार नहीं दिखता बाल शोषण नहीं दिखता गरीबी एक अभिशाप का बोल्ड अक्षरों में लिखा अदृश्य बोर्ड नहीं होते व्यथित अब प्रियतम मेरे

प्रियतम मेरे

प्रियतम मेरे 

दर्देदिल ने कुछ ऐसा किया

हो गया मै तुम्हारा उम्र भर के लिए

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 


6 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई सादर

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  2. आदरणीय रविन्द्र जी, नमस्ते 🙏❗बहुत अच्छी रचनायें इस अंक में चयनित हुई हैं. एक अच्छे अंक के लिए साधुवाद 🙏❗--ब्रजेन्द्र नाथ

    जवाब देंहटाएं

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