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रविवार, 1 अक्टूबर 2023

3897 ..मै क्यों अपना कुत्ता ठीक करूं वो अपना कुत्ता ठीक करे

 सादर अभिवादन

भाई कुलदीप जी कोई
मीटिंग मे शिमला गए है
आज छुट-पुट रचनाएं देखिए

कोई बहाना चलो खोंजे, मधुमास की
वापसी में है, बहुत देर अभी, इक
अहसास जो भर जाए रिक्त
ह्रदय में हरित स्पर्श,
फिर है मुझे
तेरी
आँखों में कोई तलाश,






जिन्दगी जीने के लिए
हम सफर ऐसा हो
जब कोई समस्या आए
उसमें उसे  हल करने की क्षमता हो |
वह सक्षम हो इतना कि
सीधी राह खोज पाए




घर की दीवारों से टकराते विचार
वे पहचानने से इंकार करती हैं
आँगन भी बुझा-बुझा-सा रहता है!
मैंने कब उससे
अपनी कमाई का हिसाब माँगा है?




इतना सोचते विचारते हम उसके पास तक आ गये थें । तो हमने कहा रिस्क ले लेते है 
अबआंटी की ऊमर मे आ कर आंटीगीरी तो की ही जा सकती है ।

तो उसे बताने के लिए उसके पास तक गयें कि धीरे से बोल दूंगी ताकि कोई और ना सुने । 
अपने कान से इयरफोन भी निकाल दिया ताकि बातचीत कान बंद होने के कारण तेज से ना हो 
और वो धन्यवाद कहे तो मै मुस्कराहट के साथ जवाब भी दे दूं । 
उसे ना लगे कि नौकरानी है तो मैने भाव ना दिया ।

उसके पास गयी और धीरे से कहा अपना कुर्ता ठीक कर लो । 
उसने मेरी तरफ देखा नाक सिकोड़े , भौवे ऊपर कर बुरा सा मुँह बनाते बोली  " 
मै क्यों अपना कुत्ता ठीक करूं वो अपना कुत्ता ठीक करे । 
उनका कुत्ता ज्यादा भौक रहा था । वो टहल रहे थें आगे क्यों नही गये

आज बस
कल फिर
सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीय दीदी।
    मंच पर स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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