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सोमवार, 18 सितंबर 2023

3884 ,,,,देश में कितनी अदालतों की जरूरत, यह पता चलेगा


सादर अभिवादन
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!

अब देखिए रचनाएं ...


आज फिर मैं जो सफर पर चला
किसी ने लौट कर आने को ना कहा
ना माथा चूमा ना दोनो हाथ उठा आशीष भरा 
किसी ने आंचल से नाम आंखे पोछते विदा
ना किया आज फिर जो मैं सफर पर चला।।





"घुघूती-बासूती… क्या खांदी?
दुधु-भाती!
मैं भी दे…..
जुठू छ
कैकू?
मेरू!
तेरी ब्वै कख?




मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।
अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।
कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ताहाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार।
जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।





पिछली बारिश की बूँदों
के निशान को मिटाने
गुज़रे हुए लम्हों को मिट्टी में दबाने
नई बूँदें आयी हैं
बारिश का मौसम आ गया।




इसके लागू होने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अदालतों को मैप करते हुए असल में पता करना आसान हो जाएगा कि देश में असल में कितनी अदालतों की जरूरत है. मतलब जब भी केंद्र एवं राज्य सरकारें नीतिगत निर्णय लेना चाहेंगी तो उन्हें मदद मिलेगी. विश्व बैंक ने इसके शुरुआती दिनों में ही भारत के इस प्रोजेक्ट की सराहना की है. जमीन के विवाद देश में बड़ी समस्या हैं. इनके निस्तारण में काफी वक्त लगता है.

आज बस
कल सखी
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर संकलन सखी. धन्यवाद.

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  2. गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ , सुंदर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सभी लिंक बेहद उम्दा एवं पठनीय । मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।

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  4. बहुत सुंदर संकलन,आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

    जवाब देंहटाएं

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