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मंगलवार, 29 अगस्त 2023

3864 ...आज सिक्का पर हमारा चमकता है

 सादर अभिवादन

ये प्रस्तुति सावन की अंतिम प्रस्तुति है मेरी
चांद की चांदनी बिखरी हुई है
आज भी और कल भी बिखरी रहेगी
जब तक कोई नया विषय नहीं मिल जाता
चलिए चलें रचनाओं की ओर....




कितना सच था
बचपन
सब कुछ कितना खरा सा
निक्कर की फटी जेब में
दुनिया समा जाया करती थी
कागजों में कागज लपेट
छुपा ली जाती थी
बचपन की वो मीठी सी गोली।






तुम हो खुशी मनाते पर चाॅंद अनमना है।
जो भी कहे ये दुनिया मैं मानता नहीं हूॅं,
मेरा चाॅंद खुरदुरा है यह बात ही मना है।।
सौन्दर्य का नहीं प्रिय कोई बाॅंट दूसरा है।




चाँद पर इतिहास रच वैज्ञानिकों ने,
कर लिया अधिकार अपना सर्वसम्मत।
बढ़ गई है ज्योति दृग सबके खुले,
देख हिंदुस्तान का चैतन्य अभिमत॥
यान तो जाते रहे जाते रहेंगे,
आज सिक्का पर हमारा चमकता है॥




एक सूर्य है, एक गगन है,
एक ही धरती माता,
दया करो प्रभु, एक बने सब,
सबका एक से नाता,
राधा मोहन शरणम्,
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्



सफल हुआ
मिशन चंद्रयान
गर्वित हम

हासिल हुई
अभूतपूर्व जीत
हर्षित हम


आज बस इतना ही
कल मिलिएगा पम्मी सखी से
सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! ..🙏 सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. विलम्ब से ही सही .. आज की प्रस्तुति के दर्शन हो गये .. दिग्गज पाठकगण को धरोहर मिल गये .. बस यूँ ही ...
    ( हम तो सुबह से अपनी डफली पर थाप दे दे कर गाए जा रहे थे ... "बड़ी देर भयो नंदलाला, तेरी राह तक बृजबाला ~~``" 😂😂😂 ).

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सूत्रों से सुसज्जित आज का अंक ! मेरे सृजन को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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