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बुधवार, 16 अगस्त 2023

3851..गगन मंडल में तिरंगे का विस्तार...

 ।। प्रातः वंदन।।

"उषा का प्राची में अभ्यास,

सरोरुह का सर बीच विकास॥

कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?

गगन मंडल में अरुण विलास॥

रहे रजनी मे कहाँ मिलिन्द?

सरोवर बीच खिला अरविन्द।

कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?

मधुर मधुमय मोहन मकरन्द॥"

जयशंकर प्रसाद

इसी संदेशप्रद उक्तियों के साथ आनंद उठायें आज की सम्मिलित रचनाओं से..✍️

जय हिंद

 


मुझे तुमसे मोहब्बत है

तुम्हें मैं प्यार करती हूँ

तुम्हारे नाम पर भारत

मैं दिल कुर्बान करती हूँ।

तुम्हारी ही धरा पर मैं 

पली हूँ शान से अब तक ..

🏵️

भारत तो है अब #बॉस !

 


सूर्य चंद्रमा हुये पास ,

कम पड़ता है #आकाश ,

ऐसा उड़ता #भारत आज ,

मँगवा दो और आकाश

🏵️

कहीं से लौट के आऊँ

तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम 
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व  पर संध्या पर  देशवासियों   

को जयहिंद और शुभकमनाएं. एक पुरानी ग़ज़ल 

एक ग़ज़ल देश के नाम -

कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे 

हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे 

कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार

🏵️

गाँव


गाँव / अनीता सैनी 'दीप्ति'

…..

मेरे अंदर का गाँव

शहर होना नहीं चाहता 

नहीं चाहता सभ्य होना

घास-फूस की झोंपड़ी

मिट्टी पुती दीवार 

जूते-चप्पल 

🏵️

।। इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर संकलन।
    हार्दिक आभार स्थान देने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय मेम ,
    मेरी लिखी रचना " भारत तो है अब #बॉस !" को इस अंक में स्थान प्रदान करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ,।
    सभी संकलित रचनायें बहुत ही उम्दा है । सभी आदरणीय को बधाइयाँ ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका हृदय से आभार |नमस्ते और हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका हृदय से आभार |हार्दिक शुभकामनाएं|सादर अभिवादन सहित |

    जवाब देंहटाएं

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