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रविवार, 25 जून 2023

3799....हम न सोए रात थक कर सो गई 

जय मां हाटेशवरी...

आज हर्ष महसूस कर रहा हूं.....
3800वां अंक कल आने वाला है......
सभी स्नेहीजन पाठकों व चर्चाकारों का आभार.....
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई 
हम न सोए रात थक कर सो गई ----राही मासूम रज़ा
अब पढ़िये मेरी पसंद.....

फ़ोटो में कितनी बातें छुप जाती हैं
फ़ोटो
सब एक जैसे होते हैं 
रतलाम हो
जबलपुर हो
शिमला हो
दिल्ली हो
धड़ से ऊपर का हिस्सा 
सब जगह का एक सा ही होता है

दोहे "बारिश अब घनघोर
हवा सुहानी बह रही, बादल करते शोर।
चपला चमकी गगन में, वन में नाचें मोर।।
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पौध धान की हो गयी, अब बिल्कुल तैयार।
फिर से वीरान चमन, होगा अब गुलजार।।

 

आज़ादी
कुछ ने अपने दोस्तों के संग में | 
बाली सी उम्र में  गवाई जान 
मान सम्मान कपे  तुम उनको | 
जिन्होंने आजादी की लिया 
गवाए अपने जान |

हम किधर जा रहे हैं
संस्कृति की रक्षा का दम भरने वाले ही 
आज उसके हंता नज़र आ रहे हैं 
पता नहीं कैसा है यह काल 
और हम किधर जा रहे हैं ?

सीमा
मैं तुम्हारे बारे में कभी 
सही तरह बता ही नहीं पाता,
कभी कुछ, तो कभी कुछ 
रह ही जाता है. 
तुम्हारा होना प्रमाण है 
कि शब्दों की भी सीमा है.

आधा-अधूरा
अक्षर मिले कई
लुभावने शब्द भी
अर्थ नहीं मिला लेकिन
तुमने जितना लिखा
उतना ही पढ़ा गया मैं
आधा-अधूरा

ओ महुवे के फूल लगता जैसे चाँद चू गया
खुली गदोरी पर
फुदके पंछी हँसी-किरन के
ओरी-ओरी पर
साधों की हंसिनी, 
मगन हो पाँखें थिरकाये
ओ पूनम के फूल! 
कौन-सा मौसम तुम लाये

धन्यवाद....

       

6 टिप्‍पणियां:

  1. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
    हम न सोए रात थक कर सो गई
    शानदार अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! शानदार प्रस्तुतीकरण।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! सुंदर रचनाओं के सूत्रों की खबर देता है आज का अंक, बहुत बहुत आभार 'मन पाये विश्राम जहां 'को शामिल करने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  4. धड़ से ऊपर का हिस्सा
    सब जगह का एक सा ही होता है
    जैसे
    शानदार लिंकों का संकलन, उत्त्त प्रस्तुतिकंरण हेतु सभी सृजनकर्ताओं को शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

  5. 🎈🎈🎈🎈🎈🎈
    इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
    हम न सोए रात थक कर सो गई///
    अहा!! रचनात्मकता का ये सफर अब सफर कहाँ एक सुखद पड़ाव है।कितने सहयात्री हैं कितने सपने हैं जो साझे हैं। मंच का अभिनंदन और आभार सबको एक माला की भांति पिरोने के लिए।सभी पाठकों और रचनाकारों को सप्रेम आभार और बधाई।3800वें अंक की प्रतीक्षा है।सभी चर्चाकारों की निस्वार्थ भाव से की गई सेवा को कोटि- कोटि नमन ।आज के सम्मिलित गुणी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं ।और प्रिय कुलदीप जी आपको इस शानदार प्रस्तुति के लिए आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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