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रविवार, 9 अप्रैल 2023

3723......तब जिंदगी के सभी संघर्ष सहज हो जाते हैं।

जय मां हाटेशवरी..... आज मैंने CHat GPT को आदेश दिया.....
आकांक्षा पर कविता लिखें.....
क्योंकि आकांक्षा मेरी बेटी का नाम है.....
जो उसने लिखा....
आज की प्रस्तुती का शुभारंभ उसी से.....

जब सपनों के अंधेरे में अँधेरा छाता है,
तब आकांक्षाओं का सहारा लेना ज़रूरी होता है।
जिंदगी के संघर्षों में उतार-चढ़ाव होते हैं,
बच्चों के सपनों की राहें कभी नहीं सुखी होती हैं।
पर जब आकांक्षाओं की उड़ान लग जाती है,
तब जिंदगी के सभी संघर्ष सहज हो जाते हैं।
हर सपने का नया रंग और सौंदर्य होता है,
जब उसे पूरा करने का अवसर मिलता है तो जीत का एहसास होता है।
आकांक्षाएं होती हैं तो समस्याओं के समाधान होते हैं,
अगर जीवन एक कवच की तरह हो तो आकांक्षाएं उसकी ताकत होती हैं।
इसलिए जब सपनों का सहारा लेना ज़रूरी होता है,
तब अपनी आकांक्षाओं से कभी हार नहीं मानना होता है।
आकांक्षाओं के संग जीवन की हर उड़ान सफल होती है,
जिंदगी की हर मुश्किल समझौते के द्वार से हल होती है।
जब आपकी आकांक्षाओं की नौ राहें हों,
तब जीवन के संघर्ष आपके लिए एक मात्र माध्यम हों।

गीत "काँटों की पहरेदारी
हमसे ही अनुराग-प्यार है,
हमसे मधुमास जुड़ा,
हम संवाहक सम्बन्धों के,
सबके मन को भाते हैं।

एहसास दिल का पिरो दी हूँ अल्फ़ाज़ों में
ग़र मुकम्मल मुहब्बत का दो तुम आसरा
तुझे दिल में नज़र में अपने बसा लूँगी मैं
माँगकर तुझको मन्नत में हमदम ख़ुदा से
नाम की तेरे मेंहदी हथेली में रचा लूँगी मैं ।

मिलन
अनंत से मिलन का यही तो परिणाम है 
कि वह हर जगह है 
हिमालय की गुफाओं में ही नहीं 
अंतर गह्वर में भी, क्योंकि 
भीतर ही काशी है भीतर ही कैलाश !

सुबह की पहली किरण - -
न जाने कितने ख़ानों में, बंट चुकी है अम्ल इंसानियत,
सरबराहों के गोशा ए दिल में पोशीदा इक शिकन सी है,
उजाले की चाहत में अंधेरों का है यूँ मुसलसल तआक़ब,
शगुफ़्ता गुलाब का ख़्वाब, सुबह की पहली किरण सी है,

सरमायेदार लगे हुए
एक तीली की लगाई आग शहर जलने लगा,
बेलगाम हुई आग  तमाशाई हजार  लगे  हुए।
कभी शर्म भी शर्माती होगी बेलाग बेशर्मी पर,
बेशर्मी की सलाहियत में सरमायेदार लगे हुए।

दोस्ती की दीवार..
यूँ छुपकर सुवासित करता अंबर, यूँ नेह की डोर में बँधा बोगनवेलिया, यूँ खतों के बटुए, यूँ लेट नाईट चाँदनी की आभा, यूँ उपमाओं के रेले, यूँ नेमत के बंडल्स..कुछ
तो है जो सेलफोन का पासवर्ड हो चला..
शुक्रिया मुझे सुनने का, मेरे ख्यालों को पकने के लिए उर्वरक जमीन देने का..
किस्सों की तरकश टंगी रहे दोस्ती की दीवार!

  धन्यवाद।

4 टिप्‍पणियां:

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