---

गुरुवार, 30 मार्च 2023

3713...जब जन्मे अवध बिहारी

सादर अभिवादन।

आज रामनवमी है। 

भारत में राम जी का जन्मोत्सव अगाध श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारतीय जीवन शैली में राम रचे-बसे हैं। धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में राममय अनुगूँज सामाजिक चेतना में समाई हुई है। राम जी के आदर्श व्यावहारिक जीवन में सहज स्वीकार्य नहीं हैं बल्कि उन्हें आत्मसात करना मानव को सामाजिक मूल्यों के उच्च शिखर पर स्थापित होना है। मर्यादा की सर्वोत्कृष्ट परिभाषा स्थापित करते हुए प्रजा के कष्ट निवारण को सर्वोपरि रखना उनके दर्शन का मूल सिद्धांत है।

आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ-

जब जन्मे अवध बिहारी

चैत   महीना  शुक्ल   पक्ष,

जब  जन्मे  अवध बिहारी।

मध्यान्ह समय तिथि नवमी,

जब  जन्मे  अवध  बिहारी।।

सामान्य सी लड़की

पहुँचते गए फिर भी वहीं

किसी ने रोका नहीं

नही यह पूछा

यहाँ किस लिये आए किससे मिलने।

अपना अपना कयास - -

ऋतुचक्र उतार लेता है
ऊंचे दरख़्तों के
हरित पोशाक,
झुर्रियों के
उभरते
ही,
चेहरे से रूठ जाता है
मधुमास,

करें नववर्ष का स्वागत (गीत)

हवा में तैरते पंछी खेत में झूमती फसलें,

कि हर घर में नई सौगात ये नव वर्ष लाया है।

किसी के घर गुड़ी पड़वाकहीं नवरात्रि का गरबा,

मगन हो झूमकर धरती ने मधुमय गीत गाया है॥

तोता चशमी

"इनका पति वानप्रस्थ और संन्यास में गुम है। दो पुत्र हैबड़ा विदेश बस गया तो छोटा दूर देश में ही छुप गया है।" परिचित ने कहा।

"दुष्यन्त-शकुन्तला सी किस्मत कम लोगों को मिलती है यानी इनकी गृहणी और मातृत्व में असफल होने की कहानी है।" अपरिचित ने कहा।

 *****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


2 टिप्‍पणियां:

  1. रामनवमी की शुभकामनाएं
    चैत महीना शुक्ल पक्ष,
    जब जन्मे अवध बिहारी।
    मध्यान्ह समय तिथि नवमी,
    जब जन्मे अवध बिहारी।।
    बहुत ही सुन्दर अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।