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शनिवार, 25 मार्च 2023

3708... मुहावरा

    

हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

प्रत्येक कृति कीर्ति योग्य नहीं हो पाती है

कृत्ति उतारने में सब कृती नहीं हो पाते हैं....

मुहावरेदानी

“वह भुग्गा, वह बहत्तर घाट का पानी पिए हुए. इसे दोनो उँगलियों पर नचा रही है और वह समझता है वह इस पर जाना देती है. तुम उसे समझ दो, नहीं कोई ऐसी वैसी बात हो गयी तो कहीं के न रहोगे”. इसी तरह “दिल खोल कर, तालिया बजाकर, घी के चिराग जलाना बगलें बजाना, नाम बडे दर्शन थोडे” जैसे मुहावरों की भरमार है

मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।

मुहावरा

 व्याकरणिक संरचना के अनुसार ही मुहावरों का निर्माण या सृजन होता है। मुहावरों का अध्ययन, विश्लेषण, वर्गीकरण एवं वाक्यों में प्रयोग करते समय उनकी संरचनाओं का बोध होना आवश्यक है। किसी मुहावरे की व्याकरणिक संरचना में शब्द-भेद (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण, परसर्ग आदि) एक निर्धारित क्रम में व्यवस्थित होते हैं। कभी-कभी वक्ताओं के द्वारा वाक्य में प्रयोग करते समय मुहावरे की संरचना (शब्द-क्रम) को आवश्यकतानुसार परिवर्तित भी कर लिया जाता है, 

मुहावरा

Gone Doolally/गॉन दूलाली- यह शब्द भारत के देवलाली नामक स्थान से आया है जहाँ पर 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने एक छावनी का निर्माण करवाया था। इस छावनी में एक पागलखाना भी था जहाँ पर दिमागी रूप से अस्थिर लोगों को भेजा जाता था। यहाँ से लौटने के लिए सैनिकों को महीनों तक इंतज़ार करना पड़ता था जिस कारण उनके व्यवहार में कई बदलाव आ जाते थे। इसी कारण उनके ब्रिटेन लौटने पर उनके बदले व्यवहार की सफाई देते हुए बताया जाता था कि वह व्यक्ति ‘दूलाली’ रहकर आया है इसलिए वह ऐसा पेश आ रहा है।

मुहावरा

चुटकी भर सिंदूर से, जीवन भर का साथ.

लिये हाथ में हाथ हँस, जिएँ उठाकर माथ..

सौ तन जैसे शत्रु के, सौतन लाई साथ.

रख दूरी दो हाथ की, करती दो-दो हाथ..

टाँग अड़ाकर तोड़ ली, खुद ही अपनी टाँग.

दर्द सहन करते मगर, टाँग न पाये टाँग

मुहावरा

चिलचिलाती धूप (scorching sunshine)

कहते हैं कि भरी दुपहरी में जब बहुत तेज़ धूप पड़ रही हो, तभी चील अंडा देती है और अंडा छोड़ते वक़्त चिल्लाती है । इसलिए तेज़ धूप या गरमी को ‘चील-चिल्लाती’ धूप या गरमी कहते होंगे । यह ‘चील-चिल्लाती‘ पद ‘चिलचिलाती’ बन गया है।

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पुनः भेंट होगी...
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2 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहहहहह
    मुहावरों की खान
    बड़े काम की प्रस्तुति
    सहेज रही हूं
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. हिंदी शिक्षिका होने के नाते अब तक सैकड़ों मुहावरे बच्चों को पढ़ाए, सिखाए होंगे मैंने। परंतु यहाँ से कुछ और सीखने को मिले। सादर नमन दीदी।

    जवाब देंहटाएं

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