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मंगलवार, 21 मार्च 2023

3704 ..कल चैत्र प्रतिप्रदा, यानी गुड़ी पड़वा, यानि नवरात्र प्रारम्भ

 सादर अभिवादन

कल चैत्र प्रतिप्रदा
यानी गुड़ी पड़वा
यानि नवरात्र प्रारम्भ
बुधवार को विक्रम संवत 2080
यानि हिन्दू नव वर्ष प्रारंभ
आप सभी को अग्रिम शुभकामनाएं
अब देखिए रचनाएँ ...

कल गौरैया दिवस था


कोमल-कोमल देंह हमारी
लुढ़क रहा हूँ इधर उधर।
कितनी भी कोशिश कर लूँ
मैं उठ न पाऊँ गिरकर॥
अम्मा मेरी दाना लाने
जाने कहाँ गयी है॥



एक चिड़िया गौरैया पुकारने का नाम !
मेरी हर सुबह का सुरीला आलाप !
मेरी हर शाम का चिर-परिचित राग !
चहचहाती सुबह से दिन का आगाज़ !
सचमुच गौरैया के आने से जागते हैं भाग !





आधी रात को, सभी रास्ते रेगिस्तान हो जाएंगे,
गली कूचों में बेवजह शबनम बदनाम हो रही है,

इस महानगर के नीचे आबाद है, दूसरा शहर भी,
ज़मीं से फ़लक तक हर एक शै नीलाम हो रही है,




चंचल चपल हिरणी जैसी
उन्मुक्त घूमती वनमण्डल में
भय नहीं किसी का उसको
यही तो घर है उसका |
किसी की वर्जना नहीं सहती
रहती बंधन मुक्त होकर |





तू है तो हम हैं सदा इतना यक़ीन
सहज कृपा के दिए दिल में जलते हैं,
राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू
हर कदम अकीदत के फूल खिलते हैं !

आज बस
सादर

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर और पठनीय रचनाओं के साथ मेरे बालगीतों को शामिल करने के लिए यशोदा सखी का विशेष आभार।
    सभी की रचनाएं पढ़ीं, जिनमें...
    नूपुर शांडिल्य जी की गौरैया दिवस पर गौरैया का सजीव चित्रण करती सुंदर रचना।
    शांतनु सान्याल जी की कम शब्दों में बड़ी बात कहती सार्थक रचना।
    आशा सक्सेना दीदी की आत्मविश्वास जगाती सुंदर रचना।
    अनीता दीदी की जीवन पथ पर रोशनी बिखेरती प्रेरणा देती रचना।
    सुंदर,सरस और प्रेरक अंक।
    आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं 🌴🌳🐥🐥🌹🌹

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  2. विस्तृत पठन लाभदायक है
    लिखने की क्षमता में वृध्दि होती है
    पठन प्रक्रिया जारी रखने की सलाह है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते यशोदा सखी. आज का अंक प्रकृति के सौंदर्य का उत्सव मना रहा है. गौरैया को भी शामिल करने के लिए हार्दिक आभार. नवरस छलके नवरात्रि से पहले. आज कविता दिवस पर कवियों और पाठकों का विनम्र अभिवादन. आप सबके आँगन में चहचहाती रहे गौरैया.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूं सखी
      अंक को पसंद करने के लिए
      सादर

      हटाएं
  4. कविता दिवस पर काव्य रसिक सभी सुधीजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ ! सराहनीय प्रस्तुति, आज के अंक में 'मन पाए विश्राम जहाँ' को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार यशोदा जी!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. समयानुसार लिक्खी कविताएं मन को प्रफुल्लित कर देती है
      आभार सखी
      सादर

      हटाएं
  5. हलचल के इस अंक की हर कड़ी सामयिक और अनुभवजन्य हैं. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई और नव संवत्सर २०८० की शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं

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