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रविवार, 19 मार्च 2023

3702...मेरे देश की संसद मौन है.....

जय मां हाटेशवरी.....


एक आदमी रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ--
यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है। सादर नमन...... अब पेश है आज के लिये मेरी पसंद.....

चरागों की फितरत ही है जलना
जलजला आए या कि तूफान आए
बहारो में तो गुलों का ही है खिलना।
भले ही फूटे बम हर इक बाजार में,
खिलौने पर बच्चे को तो है मचलना ।

बैंक नहीं-सपने डूबे
कंपनियां पैसे जुटाती थीं। बैंकों को भी आमदनी बढ़ानी है, इसलिए सिलिकॉन वैली बैंक ने लोगों का पैसा सरकारी बॉन्ड में लगाया। हर देश की सरकारें अपने खर्चों
को निकालने के लिए लोगों को सरकारी बॉण्ड योजनाओं में आमंत्रित करती हैं। सरकारी बॉण्ड में निवेश सबसे अधिक सुरक्षित माना जाता है। सिलिकॉन बैंक ने भी अमेरिकी
सरकारी बॉण्ड खरीदा था, बस मुश्किलें तभी से बढ़ना शुरू हाे गई।

मर्क़ज़ ए जां - -
उभरते हैं मेरी आँखों में, अक्सर स्याह अब्र के गहरे साए,
छू लो अपनी पलकों से, इक उभरने का सहारा बन जाए,
इक ही ज़ीस्त में न जाने, कितनी सज़ाओं की है गुंजाईश,
जिस्म ओ जां के रहते कहीं, दर्द ए आह बंजारा बन जाए,

बस मन का ...
परिभाषा कामयाबी की है सब की अलग-अलग,
है किसी को पद या दौलत का मद, कोई है मलंग 
.. शायद ...

उद्विग्नता
लगता है कि 
अब पाना कुछ नहीं 
बस खोते ही 
जा रहे हर पल।

धन्यवाद।

2 टिप्‍पणियां:

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