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बुधवार, 25 जनवरी 2023

3649..एक ऊर्जा..

 ।।प्रातः वंदन।।

"भोर की लाली हृदय में राग चुप-चुप भर गयी !

जब गिरी तन पर नवल पहली किरन
हो गया अनजान चंचल मन-हिरनप्रीत की भोली उमंगों को लिए
लाज की गद-गद तरंगों को लिए कर गयी !"
महेंद्र भटनागर

सुबह सवेरे इंतजार रहता ही है। इसबार तो कर्तव्य पथ पर 74 वे गणतंत्र की झांकी,
आत्मनिर्भरता की बानगी की और कदम दर कदम के साथ, बसंत पंचमी  भी,तो फिर देर न करते हुए चलिए, जल्दी से नज़र डालते  है आज के चुनिंदा लिंकों पर..

एक ऊर्जा परम लहर बन 


विश्व आज देखे भारत को

 ​​एक नवल इतिहास बन रहा, 

युगों-युगों से जो नायक था

 पुनः समर्थ सुयोग्य सज रहा  !

🇮🇳🇮🇳


जब कभी,  यादें पुरानी    याद आती हैं।
ख़ुश्क आंखें भी अचानक भीग जाती हैं।

अब हथेली की लकीरों में नहीं कुछ भी
अब लकीरें भीगतीं,  न  कसमसाती..
🇮🇳🇮🇳


जिससे दोनों पाटों को जोड़कर   
पार कर जाते थे अथाह खाई   
हाँ, एक पतली सी डोरी छोड़ दी थी  ..
🇮🇳🇮🇳

श्रीमती मिथिलेश दीक्षित द्वारा मधुदीप जी को भेजे गए प्रश्न व मधुदीप जी के उत्तर..

प्रश्न : हिन्दी की प्रथम लघुकथा, उद्भव कब से, प्रथम लघुकथाकार

उत्तर : हिन्दी की प्रथम लघुकथा किसे माना जाये ---इस  विषय में मतभेद हैं | श्री कमल किशोर गोयनकाजी तथा अन्य कुछ 

🇮🇳🇮🇳

जिससे हो जाये दिल को राहत ! 


ऐसा क्या कर जाऊं मैं ,

जो तेरी नजर को भाऊं मैं,

तू ही बता तेरी क्या #चाहत ,

जिससे हो जाये दिल को #राहत

🇮🇳🇮🇳
।।इति शम।।
धन्यवाद

5 टिप्‍पणियां:

  1. सादर शुभकामनाएं
    बहुत सुंदर अंक
    स्तरीय रचनाओं के साथ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. ऐसा क्या कर जाऊं मैं, जो तेरी नजर को भा जाऊं मैं .. सुन्दर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! गणतंत्र दिवस व वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति, मन पाए विश्राम जहाँ को आज के अंक में स्थान देने हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सूत्रों से सजी प्रस्तुति । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय पम्मी मेम,
    मेरी रचना ब्लॉग को "जिससे हो जाए दिल को राहत" इस अंक में साझा करने के लिए बहुत ....धन्यवाद और आभार ।
    सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बधाइयां ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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