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मंगलवार, 3 जनवरी 2023

3627..जो मिला हमें, उसको हम, पूरे दिल से ही अपनाएं

 सादर अभिवादन

नयन का नयन से नमन हो रहा है
लो ऊषा का आगमन हो रहा है
परत दर परत,चांदनी कट रही है
तभी तो निशा का गमन हो रहा है
अब रचनाएं पढ़िए .....



अभी हाल में एक आयोजन में मंच पर छः साल के अनुभव को समेटे सत्र की अध्यक्षता करने वाली के हर रचना पर की गयी टिप्पणी पर दर्शक दीर्घा में बैठे तीस-चालीस के अनुभवी वरिष्ठ रचनाकार की पत्नी पूछ लेती "क्या यह ठीक है, क्या सही समीक्षा हो रही है?"




अपने प्रबल आवेग में बहती हुई, किनारे बसे तटों को देखती और उनकी हरीतिमा को अपनी ही उपलब्धि मान उच्च स्वर में अट्टहास करती। वह मार्ग के अवरोधों को युक्तियों से हटाती हुई, अपने ही एक किनारे को व्यर्थ मानती हुई, दूसरे किनारे की तरफ़ बढ़ती गयी। वो नादान भूले बैठी थी कि निःसन्देह किनारा बदल दिया हो उसने, परन्तु रूप बदल कर दूसरा किनारा, उसकी सीमा दिखाता सा साथ ही चल रहा था।




जो नहीं मिला,
सो नहीं मिला,
ना सोचें उसको
जो मिला हमें,
उसको हम,
पूरे दिल से ही अपनाएं।




सदा सकारात्मक सोच
के साथ आगे बढ़ो
सफलता कदम चूमेगी
मन में यह विश्वास रखो।




यूं वेदना की तपती धरा पर,
सिमट कर, धूप सेकती है, चेतना!
सिसक कर,
सन्ताप में, दम तोड़ती कब!
मन भटकता, धुंध के पार, तब,
किसी की चेतना मे!

आज बस
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन लिंक्स का संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर,पठनीय सूत्रों से सजी प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. नयन का नयन से नमन हो रहा है
    लो ऊषा का आगमन हो रहा है
    परत दर परत,चांदनी कट रही है
    तभी तो निशा का गमन हो रहा है////
    अनमोल पँक्तियाँ!!!👌👌👌👌
    देर से आई पर दुरुस्त आई।बहुत अच्छी प्रस्तुति के लिए आभार आपका।सभी रचनाकारों को सादर नमन।🙏

    जवाब देंहटाएं

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