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रविवार, 1 जनवरी 2023

3625 ...अर्द्धरात्रि के अंधियारे में, एक साल काल का डूबता।

 सादर अभिवादन

इतवार से करूँगा !
पहली तारीख से करूँगा !!
नए साल से करूँगा !!!
बरसों से रूके काम शुरू करने के लिए
ये तीनों मुहूर्त एक ही दिन आ रहे हैं !!!!
आदरणीय विभा दीदी अपनी प्रस्तुति मे उपरोक्त
पंक्तियां लिखी...पढ़िए फॉलो करिए और
अपना कहा मान लीजिए
रचनाए.....




अर्द्धरात्रि के अंधियारे में,
एक साल काल का डूबता।
क्षण में दूर क्षितिज से उसके,
दूसरे साल का सूरज उगता।




नए शब्द हों, नए इरादे,
नया-नया हो क्रम जीवन का,
नई पुलक हो, नव उमंग हो,
नया राग हो नादाँ मन का !




पुराने साल,
तुम्हारे जाने के बाद
मैं तुम्हें शायद ही याद करूं,
पर लगाए रखूंगा
दीवार पर तुम्हारा कैलेंडर,
जैसे बच्चे लगाए रखते हैं,
माँ-बाप के फ़ोटो
उनके जाने के बाद.




आह रात की रूदन दिवस की
मही निरीह सी दुःखी मलीन सी
नेत्र नीर मैं बहा जाता हूं
वक्त हूं मैं बदल जाता हूं....
.....
जाओ फिर अब न आना
अलविदा

आज बस
सादर

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति । सबको हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. पांच लिंकों का आनंद अपनी हलचल यूं ही मनाता रहे। परिवार के सभी सदस्यों और साथी रचनाकारों को नए वर्ष की शुभकामना❤️❤️🌹🌹🌹

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  3. इतवार से करूँगा !
    पहली तारीख से करूँगा !!
    नए साल से करूँगा !!!
    हम सब अपने वादों और इरादों को समय पर पूरा कर पाएँ, सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहे यही ईश्वर से प्रार्थना। सुंदर अंक। सभी को नववर्ष की शुभकामनाएँ।

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  4. नव वर्ष की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ । रोचक प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर रचना संकलन
    नववर्ष की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. नववर्ष सभी के लिए शुभ हो मंगलकामनाएँ |

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर सराहनीय अंक।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐

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    उत्तर
    1. आपको भी नववर्ष की मंगल कामना
      अपना नववर्ष तो मनेगा चैत्र प्रतिपदा को हम रहेंगे और माता श्री देंगी आशीष...सादर

      हटाएं
  8. प्रिय दीदी, आपको और समस्त पाठकवृन्द को मेरा सप्रेम अभिवादन और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं । आज फिर समय एक नये आँकड़े की तरफ बढ़ गया।यूँ तो कैलेंडर बदलने के अलावा कुछ नहीं बदला।पर इस बदलाव से ही समय की विशिष्टता का आभास होता है।यही इसकी सबसे बड़ी पहचान बनता है।आज की सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार आपका। आज के सम्मिलित, सुन्दर रचनाओं के रचनाकारों को सादर नमन।पांच लिंकों की महफिलें यूं ही सदैव आबाद रहें और साहित्यिक रचनाधर्मिता और भाईचारे की भावना को बढ़ाती रहें यही दुआ है। एक बार फिर से आपका
    आभार 🙏🌺🌺🌹🌹🎀🎀💖💖

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    उत्तर
    1. नहीं बदलेगी चोरी
      और न ही बदलेगी
      सीनाजोरी.. आभार

      हटाएं
  9. शुभ प्रभात सखी
    ना कुछ बदला,
    ना कुछ सुधरा,
    बस वही भेड़ है और
    उसी भेड़ की चाल।

    अभी बड़ी दीदी के
    ब्लॉग में गई थी
    वहीं की उपरोक्त
    पंक्तियां हैं
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. सभी आयोजकों, रचनाकारों व पाठकों को नए वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ! सुंदर प्रस्तुति, 'मन पाए विश्राम जहाँ' को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  11. नववर्ष का शुभकामनाएं
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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