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रविवार, 11 दिसंबर 2022

3604 ...स्याह परछाइयों के नीचे दबा रहता स्व - संघर्ष का इतिहास

 सादर अभिवादन

कहाँ पर थे, कहाँ पर हैं
सड़क पर थे, सड़क पर हैं।

हमें रोटी ना,कपड़े ना
मंका भी ना,डगर भर है।

सड़क के ढोर देखें हैं
जुगाली पर ज़िंदा भर हैं ।
-पीताम्बर दास सराफ

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इक ख़ामोश तरंगित
आवाज़ गूंजती रहती है हमारे
आसपास, स्याह परछाइयों
के नीचे दबा रहता
स्व - संघर्ष का
इतिहास ।





सुना है,
सड़कों को अच्छे लगते हैं
सरसों के खेत,
सिर पर रखे हुए
पानी के मटके,
घरों से उठते
धुएँ के गोले,




इक दूजे पर
कूद/काट कर
खेल रहे थे दुदमुहेँ पिल्ले
खेलते-खेलते दौड़कर
चूसने लगे
गहरी नींद सोई
कई स्तनों वाली माँ के
एक-एक स्तन!




प्रताप ने अकबर की बात जारी रखते हुए कहा, “....ऐसे किसी भी कदम को रोकने के लिए 
राणा प्रताप है। लेकिन आपने मेवाड़ राज्य और मेरे पिता महाराज उदय सिंह की बात का सम्मान रखा, इसका मैं आभारी हूँ। आपके कुछ जासूस सैनिकों को मैंने पूर्व दिशा के 
जंगल में बंदी बनाया था, उन्हें छुड़ा लें।”

अकबर और प्रताप को एक-दूसरे की हिम्मत और उसूल पसंद आ रहे थे। 
अगर वो दुश्मन राज्यों से ना होते तो शायद बहुत अच्छे दोस्त होते। अकबर का मन प्रताप को मेहमान बनाने का था लेकिन ये मौका ठीक नहीं था। उसने सोचा कि कभी बेहतर स्थिति 
में वो प्रताप के साथ बैठेगा।

फिर कुंवर प्रताप ने वहां से विदा ली। कुछ देर बात हवा से बातें करते 
चेतक पर सवार महाराणा प्रताप मेवाड़ का सम्मान वापस लेकर लौट रहा था।

दो दिन बाद मेवाड़ के किले का एक प्रहरी रात के अँधेरे में चिल्लाया।

“कुंवर प्रताप, वापस आ गए!”

इतने दिनों से इंतज़ार में बैठे ऊंघते किले में जैसे जान आ गयी। 
हर झरोखे से एक नारा गूँज उठा!

“महाराणा प्रताप की जय!”




और जो व्यंग्य स्वयं ही 
अंधा, लूला और लंगड़ा हो
तीर नहीं बन सकता
आज का व्यंग्यकार भले ही "शैल चतुर्वेदी" हो जाए
'कबीर' नहीं बन सकता।


आज्ञा दीजिए
सादर नमन

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सुन चेतक के कदमों की छाप,
    उड़ गए शत्रु जैसे भाप, रूद्र ज्वाला की वो ताप,
    मेवाड़ की अटल दीवार...महाराणा प्रताप!

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाओं के संग शुभ प्रभात

    उम्दा चयन

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत प्रस्तुति. मुझे सम्मिलित करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं

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