- एक आलेख का हिस्सा
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सोमवार, 21 नवंबर 2022
3584 ...लिव-इन के फेर में हिन्दू लड़कियां ही क्यों फंसती हैं ? ऐसा चलन मुस्लिम/ईसाई समुदाय की लड़कियों में लगभग शून्य क्यों है ?
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7 टिप्पणियां:
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आभार यशोदा जी|
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं की खबर देता सुंदर अंक, वाक़ई बेहद अफ़सोसजनक और निंदनीय है यह घटना जिसका ज़िक्र आपने भूमिका में किया है, आश्चर्य होता है कि अपने पैरों पर खड़ी, पढ़ी-लिखी लड़कियाँ भी अत्याचार क्यों सहती जाती हैं, शायद आज समाज का साथ जैसी कोई बात नहीं रह गयी है, हर कोई अकेला है। आज के अंक में मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंइस घटना/दुर्घटना के बाद तो सम्हल जाना चाहिए,
हटाएंसादर
पठनीय लिंक्स।
जवाब देंहटाएंकसाई मुसलमान था या ईसाई ? यह सवाल मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए उछाला गया है, चाहे जिसने उछाला हो।
जवाब देंहटाएंतीखी भूमिका। सामयिक प्रश्न। परंतु धर्म विशेष का नाम लिए बिना कहूँगी कि उस धर्म की लड़कियाँ लिव इन या अंतर्जातीय विवाह करती ना के बराबर मिलेंगी। क्या हमारी बेटियाँ आजादी को हजम नहीं कर पा रही हैं ? क्यों उसका दुरुपयोग कर रही हैं ? कहाँ कमी रह जाती है, संस्कारों में, शिक्षा में, परवरिश में, माहौल, में ? कहाँ ?
सच को उछाल दिया आपने
हटाएंआभार
सामयिक और यथार्थ पर केंद्रित सुंदर अंक ।
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