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रविवार, 6 नवंबर 2022

3569 ..काश कि तुम्हारे पुराने ख़त किसी ‘रीसायकल बिन’ में पड़े होते

 सादर अभिवादन

शुरुआत एक लघु कथा से


भोर के अजोर से पहले दौड़ रहे प्रातः भ्रमण करने वालों की भीड़ में एक 'कच्छा बनियाइन' वाला भी था। मैंने पूछा,"कौन हो? कहाँ रहते हो?" वह बोला,"यही तो मैं जानना चाहता हूँ, ये मॉर्निंग वाकर्स कौन हैं? कहाँ रहते हैं? कब आते हैं? और कब वापस जाते हैं? अच्छा बताइए! आप कहाँ रहते हैं?| मैं थोड़ा डर गया। कहीं सही में यह कच्छा बनियाइन गिरोह का सदस्य तो नहीं! मैन हिम्मत करके पूछा,"जानकर क्या करोगे भाई? उसने हँसते हुए कहा, "आराम रहेगा, धंधा बढ़िया चलेगा।" मैं और डर गया, "धंधा!!! करते क्या हो?" उधर रेलवे क्रासिंग के पार रहता हूँ। वो सामने मकान है न? उसी के बगल में जाना है। घर में कोई पुरुष नहीं। एक अकेली महिला है , सोचा पहले वहीं हाथ साफ करूं। उनके टंकी में पानी नहीं चढ़ रहा है,,
सुबह-सुबह पानी न मिले तो पखाना/नहाना सब रुक जाता है। क्या करूं अपना धंधा ही ऐसा ही है। घबराइए नहीं भाई साहब। मैं प्लम्बर हूँ
-बेचैन आत्मा




कल यूँ ही एक बच्चा करीब आकर लिपट गया. वो मुझे नहीं जानता था. मैं भी उसे नहीं जानती थी. जब यह लिख रही हूँ तो पास में बैठी हुई विनोद कुमार शुक्ल की कविता 'हताशा में आदमी' मुस्कुरा रही है. मैंने कविता को देख पलकें झपकायीं और बच्चे को मुस्कुराकर देखा, बच्चे ने मुझे. मैंने कहा, 'कैसे हो', उसने हंसकर कहा, 'बहुत अच्छा हूँ.'





काश कि तुम्हारे पुराने ख़त
किसी ‘रीसायकल बिन’ में पड़े होते,
जहाँ से मैं उन्हें ‘रिस्टोर’ कर सकता
और रख सकता कहीं किसी ‘क्लाउड’ पर.




अतिक्रमण करता ही जा रहा है मानव
धरती झेल रही थी
तप्त हो रही अब  
स्वस्थ नहीं है वह
भूमिकंप शायद उसकी
कंपकंपाहट  है
असमय वर्षा से
मानो कोई सहला रहा है उसे




घिर रही है रात काली
आज उपवन तब उजड़ते
छोड़ते जब साथ माली।
छाँव सपना बन चली अब
ठूँठ पत्थर बन खड़े हैं
प्रेम के सब तार टूटे





आख़िर क्यूं इतना अहंकार देह प्राण पर,
तै है उसका कुम्हलाना जो सद्य है खिला,

ताउम्र कोई अंतहीन समीकरण नहीं होता,
शून्य हथेली पर न शिकायत न कोई ग़िला ।




रात भर ठंड में
कराहता रहा एक शख्स
दरवाजे पर उसके
दस्तक भी दी
और
कराह भी गूंजी।
नहीं टूटी नींद
और
न ही खोला द्वार।
सुबह
वह शख्स मर गया


आज बस
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर संकलन। मुझे स्थान देने हेतु आभार ।

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  2. आभार आपका यशोदा जी...। सभी रचनाएं अच्छी हैं..। सभी साथियों को खूब बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर

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  4. ख़ूबसूरत अंक मुझे शामिल करने हेतु आभार, नमन सह ।

    जवाब देंहटाएं

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