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शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

3567.....एक जीवन अमूल्य

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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इस सृष्टि के लिए प्रकृति का प्रत्येक 
उपहार अमृततुल्य है।
तुलसी के औषधीय गुणों के विषय में 
 आप सभी मुझसे अधिक जानते होंगे।

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी । 
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते । 
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः ! 
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
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आइये आज की रचनाओं का आनंद लें-



अब भी रीता है
इन गर्बीले फलों के साथ
इंतज़ार में
तुम्हारे कान्हा।



जाने किस दुनिया में सोती जागती है 
जिन आँखों में ख्वाब तुम्हारा आता है। 

दिन भर परिंदों की आवाजें  आती हैं 
रात को घर में जंगल सारा  आता है। 




है एक जीवन अमूल्य
समझ प्रतिदिन का मूल्य
है अभिज्ञात विवशता
जीविका पर निर्भरता 
लगा इस हेतु झोंक अपना
श्रम शरीर चाहे जितना





वहीं मीराँ मंदिर के पास पद्मिनी जौहर-कुंड की वीरानियों ने रिद्धि को जैसे जकड़ लिया हो या कहूँ वह उन्हें भा गई और उन्होंने हाथ पकड़ वहीं पत्थर पर रिद्धि से बैठने का आग्रह किया। वे एक-दूसरे के प्रेम में डूब चुकी थीं। एक ओर मीराँ का विरह अश्रु बनकर बह रहा था तो दूसरी तरफ़ पद्मिनी का जौहर-कुंड उसे जला रहा था। उन वीरांगनाओं के सतीत्व के तप से रिद्धि मोम की तरह पिघलने लगी थी, अचानक उसके कानों में एक स्वर कोंधा।



लाश की मौत


ओवर क्राउड' 'कहते हैं ओवर क्राउड था!' फूली लाश बोली। 'कहेंगे ही!' अकड़ी लाश ने जवाब दिया। 'रेवेन्यू गिनते वक्त तो नहीं बोलते कि यह सफलता हमें ओवर क्राउड होने की वजह से मिली!' 'क्यों बोलेंगे!' 'अभी हम ओवर क्राउड हैं, चुनाव के वक्त हम भारी मत में बदल जाते है!' 'सो तो है!' 'रेल हो! बस हो! सड़क हो! या फिर देश हो! सब जगह ओवर क्राउड ही तो है! इन्हें यह सब नहीं दिखता!' 'ये अपने मतलब से ही देखते-सुनते हैं!' 'अच्छा,इस देश में ऐसी कोई एक जगह...एक जगह बता दो,जो ओवर क्राउडेड न हो!!!' 'एक जगह है,जहां कभी भी इनको हम ओवर क्राउडेड नहीं दीखते!' 'कौन-सी!' फूली लाश ने अचरज से पूछा। 'रैली का मैदान!' अकड़ी लाश का जवाब सुनते ही फूली लाश नॉर्मल हो गई ।

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आज के लिए इतना ही 
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही है प्रिय विभा दी।
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9 टिप्‍पणियां:

  1. आभार आपका श्वेता जी। मेरी रचना को स्थान देने के लिए। सुप्रभात

    जवाब देंहटाएं
  2. बधाइयाँ
    शुभकानाएँ
    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !
    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
    बेहतरीन अंक
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. झकझोरने वाली रचना...
    हमारी व्यवस्था से भ्रष्टाचार का अंत कब होगा. इस विजिलेंस वीक ( जागरूकता सप्ताह) में सरकार भ्रष्टाचार के खात्मे. के लिए सभी शपथ ले रहे हैं. स्वयं को धोखा देने का तरीका ढूढ़ रहे हैं....
    कृपया मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर "पिता" पर लिखी मेरी कविता और मेरी अन्य रचनाएँ भी अवश्य पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं.
    पिता पर लिखी इस कविता को मैंने यूट्यूब चैनल पर अपनी आवाज दी है. उसका लिंक मैंने अपने ब्लॉग में दिया है. उसे सुनकर मेरा मार्गदर्शन करें. सादर आभार ❗️ --ब्रजेन्द्र नाथ

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  4. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
    मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार श्वेता दी।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. लाश की मौत गज़ब का लेख है
    हार्दिक आभार पढ़वाने हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सराहनीय संकलन
    मेरी रचना को अपने इस संकलन मे स्थान देने के लिए हृदय से आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं

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