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बुधवार, 2 नवंबर 2022

3565 ..सफ़ेद लिखना सफ़ेद पर लिखना

सादर अभिवादन
आज सखी पम्मी जी नही है
वजह जो भी हो...अपरिहार्य ही होगा

होकर मायूस न यूँ
शाम की तरह ढलते रहिये
जिंदगी एक भोर है
सूरज की तरह निकलते रहिये
ठहरोगे एक पाँव पर तो थक जाओगे
धीरे -धीरे ही सही मगर
लक्ष्य की ओर चलते रहिये
हँसते रहिये हंसाते रहिये

लिखते रहेंगे तो पेज भर जाएगा
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दर्द क्यूँ न अपना बना लें, फ़र्श पे
बेतरतीब से बिखरे पड़े हैं
वर्णमाला पारिजात
की तरह, चलो
उठा कर
फिर
उन्हें रूह में बसा लें, बहुत हल्का है - -




किसने रोका है कदमों को
स्वार्थ हृदय से झर जाने को,  
प्रतिपल बने चेतना पावन
शुभ मूल्यों  का सम्मान करें !




मृग मरीचिका में फंस उलझा ,
भूला अपनी गलियाँ ।
अंध कूप प्रत्याशाओं का ,
उसमें  डूबा मनवा ।
नागफनी की इस बगिया में ,




यह क्षेत्र मंदाकिनी नदी का एकमात्र जल-संग्रहण क्षेत्र है। यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति है ! इसे देख कर हर इंसान सोच में पड़ जाता है कि उस समय कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर इतने भव्य मन्दिर को बनाना, जहां ठंड के दिनों में भारी मात्रा में बर्फ जमी रहती हो और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी का बहाव कहर बरपाता हो ! ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बनाया गया होगा ! जबकि 1200 साल बाद भी उस क्षेत्र में अभी भी बिना हेलिकॉप्टर से कुछ भी ले जाया जाना असंभव सा है ! मशीनों के बिना आज भी जहां एक छोटा सा ढांचा खड़ा नहीं किया जा सकता, वहीं यह मंदिर वर्षों से खड़ा है और न सिर्फ खड़ा है, बल्कि बहुत मजबूती से टिका भी हुआ है !



सफ़ेद लिखना
सफ़ेद पर लिखना
रोज़ का लिखना
मुंह सिलना हो गया
अपनी बातें
खुद से करना
‘उलूक’
जमाने से मिलना हो गया


आज बस

सादर 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सूत्रों से सजी बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को इस अंक में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर…।

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  2. धीरे -धीरे ही सही मगर
    लक्ष्य की ओर चलते रहिये,
    सफलता का इससे बड़ा सूत्र और क्या हो सकता है, पठनीय रचनाओं के लिंक्स से सजी सुंदर हलचल, पम्मी जी को शुभकामनाएँ, आभार यशोदा जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. अनुपम रचनाएं व सुंदर प्रस्तुति, मुझे शामिल करने हेतु आभार आदरणीया, नमन सह ।

    जवाब देंहटाएं

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