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शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022

3560 ..लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।

 सादर अभिवादन


छठव्रतियों को अग्रिम शुभकामनाएँ
चार दिवसीय छठ आज नहा.-खाय के से शुरु हो गया
लोहांडा और खरना कल होगा, संध्या अर्घ्य 30 अक्तूबर को
और ऊषा अर्घ्य सोमवार 31 अक्तूबर को है
......
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।

कुछ सीमित रचनाएँ

छठ पर्व का अब तक का सबसे सुन्दर गीत




चांद सूर्य की ज्योत तुम्ही हो
तुम हो वीरों की थाती
जड़ जंगम आधार तुम्हारे
सभी रूप में मन भाती
भवप्रीता बन के आ जाना
अब न कभी गात दहेंगे।।




वे प्यार भरी रातें
मनुहार से भरी बातें
मुझे याद रहती हैं
उन्माद भरी सौगातें |
जब मन को सम्हाला था अपने
कितना  अवेरा था उसे बड़े कष्टों के बाद
अब कोई बाधा नहीं चाहती उस अवसाद के वाद |


आज बस
सादर

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाओं के संग छठ पर्व की बधाई

    बढ़िया लिंक चयन

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रिय दीदी,ब्लॉग पर जो सबसे सुन्दर चीजेँ जानी वह है दूसरे राज्यों की सांस्कृतिक विरासत से परिचय।छठ पर्व के बारे में विस्तार से जाना।इस पुरातन परंपरावादी पर्व के असल महत्व को ब्लॉग पर ही जाना।प्रकृति से जुड़े इस सात्विक त्यौहार पर समस्त पाठक वृन्द और चर्चाकारों को बधाई।इतना मधुर गीत सुनकर अभिभूत हूँ।कोटि कोटि आभार इसे साझा करने के लिए।हमारी प्रिय श्वेता भी बड़ी निष्ठा से छठ उपवास में है।उसे हार्दिक स्नेहाशीष।उसका और सभी छठ व्रतियों का उपवास निर्बाध सम्पन्न हो यही दुआ है।।कुसुम बहन और आशा जी की भावपूर्ण रचनाओं के लिए आभार आपका।गीत को बार बार सुना।लाजवाब है।फिर से आभार आपका।🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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