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गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022

3545 ..रोज़ आता है डाकिया बाँटता हुआ चिट्ठियों में उम्मीद की अशर्फ़ियां

सादर अभिवादन
आज भाई रवीन्द्र जी नहीं हैं
वे रविवार को आएंगे
आज पढ़िए भूली-बिसरी रचननाएँ



अनुपस्थित से परस्पर संवाद है ।
ये सब क्या एक दिन की बात है ?
वाह रे ज़माने ! अजब रिवाज़ है ।
रोज़ आता है डाकिया बाँटता हुआ
चिट्ठियों में उम्मीद की अशर्फ़ियां ।




यूँ, रुक भी ना सकूं, इस मोड़ पर,
सफर के, इक लक्ष्य-विहीन छोड़ पर,
अक्सर, खुद को, रोकता हूँ,
अन्तहीन पथ पर, ठांव ढ़ूंढ़ता हूँ!




गाँव में होकर भी
बचपन वाला गाँव ढूढ़ते हैं|
वो पगडण्डी,
वो खेत और खलिहान ढूढ़ते हैं|




पिता,
मैं रोक सकता,
तो ज़रूर रोक लेता तुम्हें,
तुम गए,
तो न जाने क्या-क्या चला गया,
मेरा बचपन चला गया,
मेरी जवानी चली गई,
तुम गए,
तो मैं अचानक बूढ़ा हो गया.




शरद की स्वर्ण किरण बिखरी !
मन्द समीरण, शीतल सिहरन,
तनिक अरुण द्युति छाई,
रिमझिम में भीगी धरती,
यह चीर सुखाने आई,
लहरित शस्य-दुकूल हरित,
चंचल अचंल-पट धानी,



रमा ने महीने का हिसाब दिया।ये चार सौ रुपए काहे पर खर्च किए तूने??

जी वो मैं....बेटी के हेयर कलर पर...सब करते हैं तो उसे भी ...

सुनते ही एक जोर का चाँटा रमा के गाल गूंज उठा और महिला सशक्तीकरण का नारा उस गूँज में कहीं खो गया।
.........
आज करवा चौथ भी है
इस गीत के बिना अंक अधूरा है



आज बस

सादर 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर हलचल. मुझे शामिल करने हेतु आभार.

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  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया यशोदा सखी, नमस्कार और हार्दिक आभार । डाकिये को प्राथमिकता देने के लिए । भूली-बिसरी चिट्ठियों से जुङी बहुत सारी स्मृतियाँ मन में हिलोर ले रही होंगी । सभी रचनाकारों का सानिध्य सुखद अनुभूति ! नमस्ते ।

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  4. सभी कोरवां चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ बहन हेमा आप दोनो ने बहुत ही सुनदर पियारा भजन करवां चौथ का गाया आपका बहुत धनयवाद् बहन ऐसे ही अब अहोई अष्टमी का भी भजन की विडियो बनाओ हरे कृषणा जी

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  5. सरस छे ! सभी रचनाएँ पढ़ी । अच्छी लगी ।

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