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रविवार, 9 अक्तूबर 2022

3541 ...पूरण कामना हिय चित इच्छित, अमित सुधा रस अवनि आँचल

सादर अभिवादन
आज शरद पूर्णिमा है
शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है।

रचनाएँ देखिए



ख़ामोशी तोड़ो
सजधज के बाहर निकलो
उसी नुक्कड़ पर मिलो
जहाँ कभी बोऐ थे हमने
चांदनी रात में
आँखों से रिश्ते




रजत थाल जाल दृग मोहित,
दमदम दमके नभ भव करतल
पूरण कामना हिय चित इच्छित,
अमित सुधा रस अवनि आँचल।




शैतानों की बस्ती में इनसान बचा कर रखना है
अपने भीतर अपना इक भगवान बचा कर रखना है

चारों और रुलाने वाली हालत है फिर भी हमको
अपने अधरों पर थोड़ी मुस्कान बचा कर रखना है।


एक मन कितनी बार भरोसा करेगा ?
दूसरी बार...
तीसरी बार....
चौथी बार....?
पाँचवी बार में वो अभ्यस्त हो जाता है
उसे हर बार दरकते भरोसे की
आहट पता लग जाती है



"हम आपको वृद्धाश्रम नहीं जाने देंगे। नहीं ही जाने देंगे..," अनेकानेक स्वर गूँज उठे।

"हवा कुछ और बह रही है और हमें दिखलाई कुछ और दे रहा। ऐसा क्यों आप बताइए महाराज विक्रम।"

"बिना फल वाला और उसकी लकड़ी का भी कोई उपयोग नहीं, भले ही पेड़ पुराना और बुड्ढा हो गया हो लेकिन तपती धूप में लोगो को छाँव देता हो, यदि ऐसा पेड़ आस -पास हो तो प्रदूषण और गर्मी से बेहाल नहीं हो सकते। पेड़ों को बचाना उसके प्रति दया दिखाना नहीं है, बल्कि अपने मानव जीवन के प्रति दया दिखाते हैं।




तुम अगर हो साथ तो,डर नहीं मुझको कोई,
तुम मेरे रखवाले हो और,मैं तुम्हारी लाज हूँ।

सज रही महफ़िल यहां,गायकी के वास्ते,
तुम मेरी संगीत बन जा, मैं तुम्हारी साज हूँ।


आज बस

सादर 

1 टिप्पणी:

  1. बेहद सुंदर प्रस्तुति
    शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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