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बुधवार, 28 सितंबर 2022

3530..भीगना जरूरी है...

 ।।प्रातः वंदन ।।

नवरात्रि की धुन है

शुभ,संकल्पों की गुण है

उपासना के कई तरीक़े

शक्ति स्वरूपा की धुन है।

प्रभाती की धुन आजकल इसी से सज रहीं,जादा वक्त नहीं होता आजकल.. प्रस्तुति के क्रम को बढाते हुए नजर डालें..✍️

भीगना ज़रूरी है


भीगना ज़रूरी है ।
मूसलाधार बारिश में ।
रिमझिम बरसती 
बूँदों की आङ में 
रो लेना भी ज़रूरी है ।
धुल जाते हैं 
ह्रदय में उलझे द्वन्द

नवरात्र में रामलीला मंचन की परंपरा

शारदीय नवरात्र शुरू होते ही रामलीलाओं का दौर भी शुरू हो जाता है और जब रामलीला की बात आती है तो बचपन के वे दिन भी बहुत याद आते हैं जब रामलीला..

नूर तेरा 

हर सिम्त है बिखरा

नूर तेरा 

हर शै में

तू ही समाया,

ढूंढ रहे तोहे

मंदिर मस्जिद

हर जगह झूठ ही झूठ की है ख़बर ,

पूछता कौन है अब कि सच है किधर?

इस क़लम को ख़ुदा इतनी तौफीक़ दे,

हक़ पे लड़ती रहे बेधड़क उम्र भर ।

शक्तिपूजा



जीना है अगर सम्मान से,

रखना है अपनी प्रतिष्ठा को 

संसार में सर्वोच्च पायदान पर,

रखना है अगर कदम अपना..

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️


5 टिप्‍पणियां:

  1. नवरात्रि की धुन है
    शुभ,संकल्पों की गुण है
    उपासना के कई तरीक़े
    शक्ति स्वरूपा की धुन है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. पम्मी जी , शीर्षक और रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार । छोटी-सी सार्थक हलचल । याद रहेगी । सभी रचनाएँ पढ़ी । अच्छा लगा । कोई एक एहसास है । रामलीला की मधुर स्मृति है । सत्य का संधान है । और नवरात्रि के गुलाबी मौसम की आहट में पिरोया माँ का आराधन है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर, सार्थक और सामयिक प्रस्तुति के लिए आदरणीय पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी का बहुत-बहुत आभार और धन्यावाद। इस प्रस्तुति में मुझे भी शामिल करने के लिए आपका कृतज्ञ हूँ।

    जवाब देंहटाएं

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