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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

3503 ..तुम्हें तो दूसरा फूल खोजना होगा उसे दोबारा वायदों में बहकाने को..

सादर अभिवादन
चला गया तीज
और साथ ही अगस्त को भी ले गया

भाई रवीन्द्र जी आज इटावा में हैं
दो रोज लगेंगे
तब तक अगला गुरुवार भी आ जाएगा

चलिए आज फिर से मुझे झेलिए
रचनाएँ देखें ...



दैहिक हनन के समय।
तुम्हें
अधिकार है
मुझे शोषण के बाद
बिखरने को छोड़ने को।
मुझे बिखरकर भी
बेमतलब खाद होना
पसंद है
तुम्हें तो दूसरा फूल खोजना होगा
उसे दोबारा वायदों में
बहकाने को..।




ज्ञान दीजिये प्रभू अहं न शेष हो हिये।
त्याग प्रेम रूप रत्न कर्म में सदा जिये।
नाम आपका सदा विवेक से जपा करें,
आपका कृपालु हस्त शीश पे सदा लिये।।




वो तो बाइ चांस ही मना लिया। उसके और मेरे घर में सिर्फ एक सड़क का फासला था । मै उससे मिलने जाता रहता था। उस दिन हम बैठे बातें कर रहे थे तो मैने उसे उसे बताया कि आज के दिन मैं पैदा भी हुआ था। वो उठकर बाहर गयी और फिर आकर बैठ गई। हमारे गांव में जन्मदिन मनाने का रिवाज नहीं ,अरे पैदा हो गये तो हो गए, ये रिवाज तो अंग्रेजो से आया है। थोडी देर के बाद उसका नौकर केक लेकर आया। उसने केक काटा थोडा मुझे दिया और थोडा खुद खाया । ना उसने मुझे हैप्पी बर्थडे कहा और ना ही मैने उसे थैक्यू।





अब यहाँ सुगन्धित फूल नहीं खिलते
अब यहाँ तितलियाँ नहीं मँडराती
अब यहाँ बुलबुल गीत नहीं गाती
अब यहाँ भँवरे नहीं गुनगुनाते
अब यहाँ कोई नहीं आता !
यह मेरे अंतर का वह अभिशप्त कोना है





साइकिल रोककर रेन कोट के ऊपर वाला हिस्सा पहने और नीचे पहले से हाफ बरमूडा पहन कर चले ही थे, भीगने की चिंता तो थी नहीं। हाँ, मोबाइल भीगने की चिंता थी, हाँ, मोबाईल की चिंता थी, उसे रूमाल में लपेट कर रख लिए,जो होगा ,देखा  जाएगा



आज बस

सादर 

5 टिप्‍पणियां:

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