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रविवार, 19 जून 2022

3429..मैंनें पापा से अमीर इंसान कभी नहीं देखा

सादर अभिवादन.....

क्या लिक्खूं पिता के बारे में
अगर वे होते तो अभी उन्हीं से पूछ लेती
आज का अंक पुरानी रचनाओं से
कल लोग लिक्खेंगे तो सहेज कर रख लूँगी

तपकर कठोर बनकर जुझारू और संघर्षरत रहना सिखलाते हैं और शाम होते ही
दिन-भर इकट्ठा किये गये सुख की शीतल छाँव में छोड़कर पथप्रदर्शक सितारा बन जाते हैं।
समुंदर की तरह विशाल हृदय पिता जीवनभर सुख-दुःख की लहरों को बाँधते हैं लय में,
रेत बनी अपनी आकांक्षाओं को छूकर बार-बार लौट जाते हैं अपनी सीमाओं में,
अपने सीने की गहराइयों में ज़ज़्ब कर खारापन पोषते हैं अनमोल रत्न।
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सागर-सा मुझको लगे, पिता आपका प्यार।
ऊपर बेशक खार सा, अंदर रतन हजार॥
********



पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को सब ऊपर वाला देता है ए संदीप
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।

*******
वो पिता हैं, जिन्हें बच्चे तब समझते हैं
जब वे स्वयं अभिभावक बन जाते हैं
********



बुझती उमर की तीलियाँ
बची ज़िंदगी सुलगाता हूँ
देह की गहरी लकीरें
तन्हाई में सहलाता हूँ
समय की पदचाप सुनता
बिसरा हुआ दोहराता हूँ
काल के गतिमान पल में
मैं वृद्ध कहलाता हूँ


बहूँगा मैं धमनियों में तुम्हारी ...
बेटा !
भूल कर कि ..
उचित है या अनुचित ये,
दस वर्ष की ही
तुम्हारी छोटी आयु में,
शवयात्रा में
तुम्हारे दादा जी की,
शामिल कर के
आज ले आया हूँ मैं
श्मशान तक तुम्हें।


*********
पिता क्या है...?
ये एक ऐसा प्रश्न है
जिसका जवाब शायद है मेरे पास
पर मैं समझा नही पाऊँगा क्यों कि
मेरे तरकश में शब्दों के इतने तीर नही है।
*************



आधा महीना जून का पूरा हुआ

पता चलता है
पितृ दिवस होता है इस महीने में

कोई एक दिन नहीं होता है
कई दिन होते हैं
अलग अलग जगह पर अपने अपने हिसाब से




के दिन

अखबार के
विज्ञापन में
बाप का
फोटो
देखता है

*********
जेब खाली हो फिर भी मना
करते नहीं देखा
मैंनें पापा से अमीर इंसान
कभी नहीं देखा
*********





‘है’ की तलाश में ‘नहीं’ लगा
हल भी मिलता आधा आधा,
कैसे यह बुझनी सुलझेगी
जब तक न बने उर यह राधा !
*******
पापा भी ना
दिल अपने पास और धड़कने..
मेरे होठों की मुस्कान रखते हैं
***********
आज बस
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी सामयिक हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. पिता को समर्पित हृदयस्पर्शी रचनाओं का उन्दा अंक सहेजा है आपने आदरणीय दी,हमें तो ये पता ही नहीं चलता कि "कब पिता का दिन है कब माँ का " वो तो बच्चे याद दिलाते है। हमारी पीढ़ी के लिए तो हर दिन मात-पिता को नमन करने का दिन होता है। वैसे अच्छा है इसी बहाने उनको गुणों का गान कर लेते है हम सब। आप सभी को पितृदिवस की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    पिता दिवस पर शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. यूँ तो हर दिन पिता का है।उनकी महिमा को शब्दों में सहेजना नामुमकिन है फिर भी बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण रचनाओं से सजे अंक के लिए बधाई और आभार प्रिय दीदी।सभी रचनाकारों और पाठकों को पितृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌹🌹🌺🌺
    https://renuskshitij.blogspot.com/2018/06/aaaaaa-aaa-aaaa-aa.html

    जवाब देंहटाएं

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