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सोमवार, 16 मई 2022

3395...मुझे किसने है पुकारा?...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अमृता तन्मय जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ।

       विश्व को शांतिकरुणा और अहिंसा का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। बौद्ध-दर्शन की शिक्षाएँ विश्व कल्याण के विराट विचार को संप्रेषित करतीं हैं।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।

तुभ्यमेव समर्पयामि

मन  प्रांगण में बसे हैं,

जीवन ज्योति धाम ये।

तिमिर से बाहर निकल,

आशा का दामन थाम ले।

मुझे किसने है पुकारा?...

ये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है

कि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है

भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है

औचक उचक हृदय थिरक उठा

आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है

कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?

आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?

शब्द प्रभाव

उस भँवर की मरीचिका में

मन भटकता रहता है,

उलझता  रहता है

तृप्ति -अतृप्ति की

अंतहीन यात्राओं में...।

अगर पायल मेरी बोले (गीत)

खुले आकाश का पंक्षी,

उड़े स्वच्छंद पर खोले

ठिठक जाते कदम रह-रह

अगर पायल मेरी बोले

रहे बंधक मेरे घूँघरू

भरी चढ़ती जवानी में॥

 बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए’: ‘ठुमरीके पर्याय थे वाज‍िद अली

परफॉर्मिंग आर्ट्स की तरह, वाजिद अली शाह ने भी अपनी अदालत में साहित्य और कई कवियों और लेखकों को संरक्षित किया। उनमें से उल्लेखनीय बराक’, ‘अहमद मिर्जा सबीर’, ‘मुफ्ती मुंशीऔर आमिर अहमद अमीरथे, जिन्होंने वाजिद अली शाह, इरशाद-हम-सुल्तान और हिदायत-हम-सुल्तान के आदेशों पर किताबें लिखीं।

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फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सूत्रों का संकलन। बुद्ध पूर्णिमा की बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहहहह...
    बढ़िया अंक..
    आभार..
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर, सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण अंक ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार।
    बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्‍यवाद रवींद्र जी, पांच लिंकों में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. बुद्ध की प्रबुद्धता का लेशमात्र भी अंश ग्रहण कर सकें तो जीवन के दुख सुख के चक्रों से मुक्त हो जाये।
    अत्यंत सारगर्भित,ज्ञानवर्धक और सुंदर सूत्रों से सज्जित अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. स्वयं अपना दीप बनने के साथ ही हम सुषुप्त पड़े दीपों को भी प्रेम पूर्वक जलाएँ यही हार्दिक कामना है। हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

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