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मंगलवार, 3 मई 2022

3382 ...तुम आजमाते रहे जिंदगी नाचती रही

सादर अभिवादन.....


आज अक्षय तृतीया है
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।

और ...


स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयन्ती को विशेष महत्व दिया जाता है। परशुराम जयन्ती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।

और तो और 
आज ईद भी है

हमको,
तुमको,
एक-दूसरे की बांहों में
बंध जाने की
ईद मुबारक.

तीन संजोग  
बिरला ही मिलता है

कुछ रचनाएँ भी हैं



शब्दों के जंगल उग आते
प्रीत, ज्ञान जिसमें खो जाते,
सुर निजता का भुला ही दिया
माया का इक महल बनाते !




मजहब रंग एक था मेरी मोहब्बत का l
रोजा वो रखती इसकी सलामती का ll

इफ्तारी मैं करता उसके चाँद दीदार से l
कबूल हो जाती मन्नतें कई एक साथ में ll




मुझे हमेशा अफ़सोस रहेगा कि तुम मम्मी से नहीं मिल सकीं. पता है, ये कोई तीन साल पहले की बात है. हालांकि इसकी शुरुआत उससे भी पहले हो चुकी थी. मुझे याद है वो अक्सर अपनी चीज़ों को इधर-उधर रखकर भूल जाती थीं. ये ख़ासकर उनके चश्मे के साथ होता था. हम सभी के साथ इस तरह की चीज़ें होती रहती हैं, इसलिए मैंने भी कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया.





जैसे धरती पर बिछ जाते हैं
फूल हरसिंगार के
चमकते हैं जुगनू
झिलमिलाते हैं सितारे
मचलती हैं लहरें
मैं भी बिछ जाऊँगी तप्त धरती पर
एक दिन तब सतरंगी किरण या
शीतल ओस बनके…!!!




देवता सब देखता है ,
माथा सहला कर कहता है,
समाज को उतना ही मिलता है
जितना वो मेहनत करने वाले
श्रमिक को पारिश्रमिक, आदर,
सुरक्षा और खुशहाली देता है ।




तुमसे मोह में बँधी हुई हूँ,
दिल से दिल तक जुड़ी हुई हूँ,
तुम चाहो तब तक,
सब छोड़-छाड़,
तुममें बिल्कुल सदी हुई हूँ ।
तुमसे कोई लेन- देन होगा,
पुराना कोई तालमेल होगा,
तभी तो आँखें बंद करके,
तुममें खुद को पिरोई हुई हूँ ।




तुम आजमाते रहे
जिंदगी नाचती रही
उजाला,अंधेरा हुआ
आँखों का चश्मा
जिंदगी की रौशनी ले
डूब गया अंततः ।

.....
आज बस

सादर 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

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  2. सुप्रभात, अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती व ईद के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद भावपूर्ण रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंक संयोजन, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बड़ी सखी, बहुत अच्छी जानकारी मिली भूमिका से और विभिन्न रचनाओं का स्वाद चखा. आपने हमें भी जोड़ा. बहुत शुक्रिया. अक्षय तृतीया पर शुभकामनाएं और ईद मुबारक !

    जवाब देंहटाएं
  6. सब की सब को शुभकामनाएं
    सुंदर अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं

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