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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

3357...मेरा आसमान

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का स्नेहिल अभिनंदन।
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एक हँसता-खिलखिलाता, चलता-फिरता, सुख-समृद्धि से भरा- पूरा देश देखते-देखते श्मशान में बदल गया। खूबसूरत इमारत मलबे में तबदील हो रहे,असंख्य निर्दोष सैनिक और नागरिक कीड़े मकोड़ों की तरह मार दिये गये और आगे भी यह क्रूरता,रोते बेचैन बेबस लोगों की कराह,चीख और कितने दिनों तक मन मस्तिष्क को उद्वेलित करती रहेगी। अपने स्वार्थ, ज़िद,
महत्वाकांक्षी अभिलषाओं की पूर्ति के लिए 
 अपने नागरिकों को विभीषिका 
की ज्वाला में आहुति की तरह प्रयोग करने वाले
 ऐसे अमानवीय आचरण वाले निरंकुश शासकों को  
उनके कृत्यों के दंडित कौन करेगा?
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आइये आज की रचनाओं की बात करें-

दो दिन हुए मुहल्ले की एक पढ़ी-लिखी,
समृद्ध परिवार की संभ्रात महिला को पोती के जन्म पर बधाई देते हुए मिठाई खिलाने को कहा, प्रतिउत्तर में  उन्होंने जब कहा "पहले बेटा हो जाता तो अच्छा था।"
तभी से स्तब्ध सोच रही हूँ बेटियों को बराबरी का अधिकार देने की आधुनिक प्रगतिशील सोच का नारा वास्तविकता में अभी भी ढ़ोंग ही है शायद....
फिर नवरात्रों में 
कन्या पूजन का औचित्य

नवरात्र में जिसकी
विधि- विधान से
पूजा की जाती है
कन्या-भ्रूण पता चलते ही
उसकी हत्या
कर दी जाती है ।

स्वयं के अस्तित्व की खोज में आत्माविश्लेषण जीवन को
नवीन दृष्टिकोण प्रदान करता है और सूक्ष्म अवलोकन  हर विषय की नवीन परिभाषा गढ़ता है-

मेरा आसमान 
इतना भींगा था कि सूखे का भ्रम होता था 
पलकों में मीठी नींदों का सपना सोता था




तन्हाइयों में ख़ामोशियाँ जब टूटती है तो खूबसूरत एहसास के गीत बन जाती हैं जो रूह को सुकून देती हैं- 


ओढ़ लेतीं हूँ खामोशी कई दफ़ा जीने की मश्क्कत में
मांगकर इजाजत मेरी,इन आइने के सवाल...खूब रहीं, 

क्या बात है कि मुक्कमल आजकल बात होती नहीं
बेरुखी सी पुरवाई , चढ़तीं धूप की तख़सीस...खूब रहीं


जब तलक सृष्टि में आख़िरी इंसान बचा होगा तब तक इंसानियत के ज़िंदा होने की उम्मीद भी बाकी रहेगी।
आज जब इंसानियत का सरेआम कत्लेआम है तो ऐसी अभिव्यक्ति आत्मा को झकझोरने के लिए जरूरी है-

अपनी ही आत्मा में सेंध लगाते हैं लोग
पर इंसानियत आत्मा से कर चुकी है कूच 
इसलिये बहुत सिर धुनते और पछ्ताते हैं लोग
आपस में चीखते-चिल्लाते और बिलबिलाते हैं लोग


और चलते-चलते 
आपके फोन के रिंगटोन का विश्लेषण करता
 एक बेहद रोचक और जबरदस्त लेख।


वाइब्रेशन मोड में हूम्म्म्म्म्म, हूम्म्म्म की आवाज करता फोन

न छिपा पाये, न बता पाये. बस यूँ ही हूम्म्म हूम्म में जिन्दगी बिता आये. अरे, इत्ता तो सोचो कि उपर जाकर क्या जबाब दोगे. न घंटी बजी और न ही चुप रहे. ये बड़े खतरनाक टाईप के लोग होते हैं मानो कि कोई निर्दलीय उम्मीदवार. क्या पता कब सरकार का समर्थन कर दे या कब विरोधियों के खेमे में जाकर सरकार गिरा दे.


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आज के लिए बस इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।
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10 टिप्‍पणियां:

  1. "पहले बेटा हो जाता तो अच्छा था।"
    सोच बेहतर है..
    पर ये नहीं सोची..
    बेटा जनने के लिए भी
    बेटी की जरूरत लाज़मी है
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बेटियों को बराबरी का अधिकार देने की आधुनिक प्रगतिशील सोच का नारा वास्तविकता में अभी भी ढ़ोंग ही है शायद....
    –शायद नहीं यकीनन
    °°
    –उम्दा लिंक्स चयन

    जवाब देंहटाएं
  3. ज़रूरी प्रश्नों को रेखांकित करती प्रस्तुति!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक विषय पर भूमिका ।
    बहुत सुंदर सराहनीय अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर अंक श्वेता जी।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. कितने ही क्रूर शासक आये और कितना ही वीभत्स दृश्य प्रस्तुत किया , फिर भी इंसान की नस्ल खत्म नहीं हुई । ऐसे लोगों को कौन दंडित करेगा और क्या दंड मिलेगा ये तो कोई नहीं बता सकता । फिर भी शाहजहाँ के बेटे ने ही उसको कैद कर के रखा ।ऐसे ही शायद दंड मिल जाता होगा ।
    सारी रचनाएँ पढ़ लीं । बेहतरीन संकलन ।
    शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  7. भावपूर्ण रचनाओं और युद्ध जनित मर्मांतक स्थिति को शब्द देती भूमिका के साथ एक उत्तम प्रस्तुति प्रिय श्वेता।हँसते खेलते परिवेश को दो क्रूर,नराधम और हठी शासकों की व्यर्थ की रार ने अकारण तहस-नहस कर डाला,जिसके भयावह दृश्य दिल को दहलाते हैं।अनगिन प्रार्थनाएं भी मानवता का ये भीषण विनाश ना रोक पाई।कन्या पूजन और कन्या भ्रूण हत्या के दोहरे चरित्र को जीते समाज पर संगीता दीदी की रचना बहुत4कुछ कह गई तो रिंग टोन ने फोन धारकों के खूब राज खोले।शेष गजलें और कविताएँ बढ़िया हैं।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. पाँच लिंक के गत पाँच अप्रेल के अंक अडिग जी की विचित्र टिप्पणी से बहुत दुख हुआ।मंच पर अपने साथियों पर अभद्र प्रतिक्रिया नितांत खेद जनक है।🙏🙏

    https://halchalwith5links.blogspot.com/2022/04/3354.html?m=1

    जवाब देंहटाएं

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