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रविवार, 13 मार्च 2022

3331 ..दिल को सुकून देती दो ख़बरे .....

सादर वन्दे
आज भाई कुलदीप जी को आना था
अपरिहार्य कारणों से वे आज नहीं है
चलिए अगली मुहूर्त मे मिलिएगा भाई कुलदीप जी से
रचनाएं कुछ यूँ है.....



रूप भी है गंध मोहक
और मुख मृदु हास है
लिप्त बैठे सेज कंटक
भृंग डोले पास है
क्षण पलों की देह कोमल
लहलहा काया झड़ी।।




जगाकर दिल की धड़कन शहर-ए-दिल जब कर दिया रोशन,
भरी महफ़िल में था फिर मुब्तिला रहबर बनाने में ।

मुहब्बत में कहीं मैं इस तरह मशहूर हो जाता,
लगाता बरसों मैं भी दोस्ती को आजमाने में ।





पर हूँ वहीं, अब भी, लिए वही अनुभूतियां,
पल सारे, अब भी, कंपित हैं जहां,
सीमाओं से परे, समय जिधर लाया था,
न जाने, कौन यहां आया था!




तो चल समेट ले बल अनंत
सोये सामर्थ्य को जगा तुरंत
है धरा तेरी, यह नभ भी तेरा
कर स्वयं अपने विषाद अंत





जो हर झूठ को निगल जाती है अंतत: !
सत्य का दामन काँटों भरा लगता है
पर उल्लास के पुष्प भी वहीं खिलते हैं !
कहते हैं सत्य की राह दुधारी तलवार की तरह होती है
पर संतुलन की कला  वहीं सीखी जाती है !




"हरियाणा के चरखी दादरी की रहने वाली 17 साल की नेहा सांगवान एक साल पहले MBBS करने यूक्रेन गई थी। उसकी माँ ने एम्बेसी से कॉन्टैक्ट करके नेहा को वहां से निकलवाने की कोशिश की। लेकिन माँ की लाख कोशिशों के बावजूद नेहा युद्ध खत्म होने तक वहीं रुकने की अपनी ज़िद पर अड़ी है। इसके लिए उसने जो वजह बताई वो दिल को ठंडक पहुँचाने वाली है।"
"ऐसी क्या वजह बताई नेहा ने?"
"उसने कहा कि उसका मकान मालिक युद्ध मे गया है। उसकी पत्नी और तीन बच्चे अकेले है। ऐसे में वो मकान मालकिन और बच्चों को अकेले छोड़ कर अपने देश नहीं आ सकती। 
वे पहले से ही बहुत डरे हुए है।

............................................
कल मिलिएगा भाई रवीन्द्र जी  से
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. त्वरित निर्णय हेतु आभार
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना के शिर्षक को आज के अंक का शिर्षक बनाने के लिए और मेरी रचना को पांच लिंको का आनंद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिग्विजय भाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार संकलन।
    हृदय से आभार आपका मेरी रचना को आज की प्रस्तुति में शामिल करने के लिए।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. देर से आने के लिए खेद है, सराहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. किन्हीं निजी कारणों से देर से पहुँच सका । बहुत ही सुंदर चयन ।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं

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