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शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

3266......वार्षिक पुनरावलोकन-२

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का मैं श्वेता
स्नेहिल अभिवादन करती हूँ।
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बुद्धिजीवियों की सराहना करती दुनिया
वैचारिकी क्रांति पर अजीबोगरीब व्यवहार करती है।
दूसरों की आँसुओं से भरी 
आँख में झाँकने की चेष्टा न करना,
जोर की ठोकर पर धीरे से कराहना, 
घटनाओं पर प्रतिक्रियाविहीन व्यवहार
तटस्थ मौन रहना सभ्य होने का मापदंड(?)
संवेदनहीन होते समाज का जिम्मेदार चरित्र
अनमयस्क आचरण से
सकारात्मकता की नयी परिभाषा गढ़ रहे।    
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पिछले अंक के वार्षिक अवलोकन की कड़ी
आगे बढ़ाते हुए आइये आज फिर से पिछले वर्ष
कुछ सर्वाधिक सक्रिय रचनाकारों की 
कृतियों का आनंद लेते हैं।
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जनवरी



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फरवरी


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मार्च


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अप्रैल


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मई

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जून



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जुलाई

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अगस्त


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सितंबर

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अक्टूबर

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नवंबर

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दिसंबर

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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।

9 टिप्‍पणियां:

  1. मंथन है
    साहसिक प्रयास
    साहित्यिक
    मोती और अमृत
    कड़वे मीठे
    साहसिक प्रयास
    साधुवाद..
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  2. वार्षिक पुनरावलोकन के अंक में मेरी ब्लॉगपोस्ट को स्थान देने हेतु आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजवाब सूत्रों से सजा बेहतरीन संकलन ।
    वार्षिक पुनरावलोकन अंक में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. वार्षिक अवलोकन के अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, श्वेता दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. जोर की ठोकर पर धीरे से कराहना,
    घटनाओं पर प्रतिक्रियाविहीन व्यवहार
    तटस्थ मौन रहना सभ्य होने का मापदंड(?)
    संवेदनहीन होते समाज का जिम्मेदार चरित्र
    अनमयस्क आचरण से
    सकारात्मकता की नयी गढ़ रहे
    बहुत सटीक यही तो हैं बुद्धजीवियों के गुण इसके विपरीत सब गँवार...
    सार्थक भूमिका के साथ लाजवाब वार्षिक पूर्वावलोकन... बहुत ही लाजवाब एवं श्रमसाध्य प्रस्तुति सभी लिंक बेहद उम्दा... सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर सराहनीय अंक, कई महत्वपूर्ण रचनाओं पर जाने का मौका दिया आपने । बहुत बहुत आभार आपका श्वेता जी 👌💐

    जवाब देंहटाएं

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