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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

3259... वार्षिक पूर्वावलोकन

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी को
श्वेता का स्नेहिल अभिवादन।
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साल २०२१ का आखिरी दिन है आज
स्पंदनहीन,निर्विकार सा
समय चला जा रहा है अनवरत
रात धीरे-धीरे चलकर 
एक नयी सुबह में बदल जायेगी
और खिलखिलायेगी 
कैलैंडर की नयी तारीख़ में कल
नये साल की पहली सुबह।
वर्षभर चिट्ठा जगत में निरंतर सक्रिय हमारे सभी साथी चिट्ठाकारों की लेखनी की सुगंध से ही
कला और साहित्य की यह छोटी सी दुनिया सुवासित है।
कलैंडर बदलने कि पूर्व चलिए हम अवलोकन करते हैं कुछ बेशकीमती मोतियों का जो वर्षभर जो उन्होंने अपनी साधना से साहित्यिक खज़ाने में संजोया है।
यूँ तो सभी को समेट पाना संभव नहीं पर फिर भी एक प्रयास किए है उन चिट्ठाकारों की रचनाओं को एक धागे में पिरोकर स्मृतियों की किताब में बुकमार्क की तरह रखने का जो वर्षभर अपने दैनिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए भी  सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। आशा है मेरा यह प्रयास आपको अच्छा लगेगा।
 प्रस्तुत है प्रथम भाग।

 वार्षिक पूर्वालोकन  के पहले
पढ़िए हमारी प्रिय संगीता दी क्या संदेश दे रही हैं-

गत वर्ष जाते -जाते/ नव वर्ष के कान में
अपनी पीड़ा यूँ कह गया / कि आज तुम्हारा 
स्वागत हो रहा है / तो इतराओ मत 
मैं भी पिछले साल /यूँ ही इतराया था 
और खुद को यूँ /भरमाया था. 
पर भूल गया था/ कि बीता वक़्त 
कभी लौट कर नही आता /तुम भी आज खूब
जश्न मना लो/क्यों कि जो 
आज तुम्हारा है / वो कल तुम्हारा नही होगा 
आज जहाँ मैं खड़ा हूँ / कल तुम वहाँ होंगे 
और जहाँ आज तुम हो / वहाँ कल कोई और होगा। 


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आइये चलते हैं रचनाओं के संसार में-

जनवरी

सैनिकों के सम्मान में



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फरवरी

बसंत आया तो है पर.... 


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मार्च

कई सोपान चढ़ने हैं



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अप्रैल

किरणों का क्रंदन


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मई

गूढ़ बात


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जून

घिंडुड़ी (गौरेया)



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जुलाई

हृदय का क्रंदन 


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अगस्त

विश्वास के मुट्ठी भर दानें



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सितंबर

खाली सफेद पन्ने का


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अक्टूबर

चेहरो से होती रहती है


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नवंबर

नदी का मौन,आदमियत की मृत्यु है



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दिसंबर

जिम्मेदारियों के बोझ तले



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क्रमशः........

आज के लिए इतना ही
कल का विशेषांक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।


21 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    अलविदा 2021
    अच्छे ही बीते तुम.
    सताया पर
    मरहम भी लगाइ
    पर बुरा भी बहुत किया
    हमारे बिपिन रावत को
    सपत्नीक व उनके
    बारह साथियों को ले गए
    क्या आफत आई थी स्वर्ग में
    जो उन्हें भारतीय सेना की
    आवश्यकता पड़ी..
    आने वाले सालों में
    वसूलेंगी भारत की जनता
    ...
    बेहतर अंक दिया सखी आज
    आभार.
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिलकुल सही कहा आपने ।
      नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 💐💐🙏

      हटाएं
  2. वर्षांत के इस महत्वपूर्ण समावेशी अंक में मुझे भी स्थान देने के लिए मैं आदरणीया श्वेता जी और इस पटल का ह्रदय से आभारी हूं।
    समस्त गुणीजनों को नमन।।।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत दिन बाद आपकी रचना का आनंद लिया। वेहतरीन रचनात्मकता।

      हटाएं
  3. वाह! बहुत ही सुंदर और सार्थक सूत्रों का संकलन!! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और सबको नए आगत वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!!! 'पाँच लिंक' इस नए वर्ष में साहित्यिक वीथिका में नवीन आनंद का अन्वेषण करे।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह बहुत ही शानदार प्रस्तुति!
    प्रस्तुत करने का अंदाज बहुत ही शानदार और उम्दा व सराहनीय है! यह मेरे लिए बहुत ही सुखद एहसास है कि मेरी रचना को आज साल के आखिरी दिन जगह मिली! मेरी रचना को इस बेहतरीन प्रस्तुति में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम!
    यह साथ ऐसे ही बना रहे!
    नव वर्ष की अग्रिम बधाई 💐💐💐

    जवाब देंहटाएं
  5. नए अंदाज़ की हलचल ...
    सभी को नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें ...
    आभार मेरी गज़ल को स्थान देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी गजलें बहुत शानदार होती है।
      नवबर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।

      हटाएं
  6. बहुत बढ़िया प्रिय श्वेता! उत्साही भूमिका के साथ संगीता दीदी की सार्थक पंक्तियां मन में टीस सी जगा गईं। निर्मम समय की यही कहानी है। आज के वार्षिक अंक में जगह पाने वाले भाग्यशाली रचनाकारों को बधाई। सभी पाठकों औरसहयोगी रचनाकारों को सादर प्रणाम और आगत वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। ये महफिलें यूं ही सजी रहें और ये स्नेह का बंधन अटूट रहे। सुंदर,भावपूर्ण अंक की इस नई परिकल्पना के लिए तुम्हारा आभार और अभिनंदन

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  7. 2021 भी खुश हो जाएगा आज का अंक देख कर
    इतनी शानदार विदाई.. जाते-जाते सारे आमिक्रान बटोरकर अपने साथ ले जाएगा..
    बधाई दीदी..
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रिय श्वेता, क़्क़
    वर्ष के अंतिम शुक्रवार को पूरे वर्ष भर के सृजन पर एक गहन दृष्टि डाल कर जो प्रस्तुति तैयार की है वो निःसंदेह अतुलनीय है ..... मैं समझ सकती हूँ कि माह दर माह बेहतरीन लिंक्स को लेना ,और पाठकों तक पहुँचाना कितना श्रम साध्य है ।
    भूमिका में तुमने जिस तरह जाते हुए लम्हों से गुफ्तगू की है वो नई सुबह की आशा जगाए हुए है ।
    मेरे लिए यह प्रस्तुति सार्थक रही क्यों कि बहुत से लिंक्स मेरे लिए नए थे ।
    मेरी 10 साल पूर्व लिखी रचना को यहाँ देने के लिए हार्दिक आभार ।
    अगले शुक्रवार का इंतज़ार है ..... ब्लॉग्स के विशाल समुद्र से चुन कर मोती लाओगी , इसी आशा में
    सस्नेह

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    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी,
      सादर नमन,
      हमारे सभी सहयोगियों के पास अद्भुत क्षमता है मैं अपवाद हूँ,मेरी विभा दीदी अपार सागर है, देशी-विदेशी साहित्यकारों से लेख्य मंजूषा के माध्यम से जुड़ी रहती हैं,आपकी भी एक अलग खासियत है आप पाठकों के साथ हरदम जुड़ी रहती हैं, आपके ब्लॉग में रचना से तिगुनी टिप्पणियां रहती है, पम्मी जी का दायरा भी काफी बड़ा है, भाई रवीन्द्र जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं, भाई कुलदीप जी की शिक्षा पूर्णता की ओर है...यशोदा जी सिर्फ बात नहीं कर सकती, वह सातों दिन ब्लॉग लगाने में सक्षम है

      आज रिटर्न का आखरी दिन है आज सारा स्टाफ 11.99 बजे तक नेट में ही व्यस्त रहेंगे,दिव्या भी आज यहीं है..अस्तु
      सादर नमन

      हटाएं
    2. मैं छुटकी को भूल ही गया..आप,विभा दीदी और छुटकी श्वेता में फर्क नहीं कर पा रहा हूँ मैं
      सब साहित्यिक घुट्टी पी कर बैठे हैं,अपनी सखी श्वेता के बारे में यशोदा ज्यादा अच्छे से बताएगी
      सादर..

      हटाएं
    3. दिग्विजय जी ,
      आपने मंच के सहयोगियों की प्रशंसा कर सबका हौसला बढ़ा दिया है । आपने सही कहा कि मैं पाठकों से जुड़ी रहती हूँ । मेरी रचना पर टिप्पणियाँ कुछ ज्यादा ही आती रहीं । दरअसल उस समय ब्लॉग पर टिप्पणी आने पर धन्यवाद ज्ञापन का यही तरीका था कि वापस उस ब्लॉगर के ब्लॉग पर जा कर उसे पढ़ें और प्रतिक्रिया दें ।
      उस समय एक दिन में कम से कम 50 - 60 ब्लॉग्स तो पढ़ ही लिए जाते थे और वहां टिप्पणियाँ भी की जाती थीं । फलस्वरूप मेरी रचना आने पर वो सभी मेरे ब्लॉग तक आते थे ।
      बस यही सिलसिला चलता था । इसीलिए आज भी मैं उनके ब्लॉग तक पहुंचने की पूरी कोशिश करती हूँ जो मेरे ब्लॉग पर आते हैं । वैसे मैं जितने भी ब्लॉग मेरी रीडिंग लिस्ट में आते हैं सब पर ही जाती हूँ । कोई मेरे ब्लॉग पर आए या न आये ।
      नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।।

      हटाएं
  9. वाह!बहुत बहुत सुंदर संकलन।

    रात धीरे-धीरे चलकर
    एक नयी सुबह में बदल जायेगी
    और खिलखिलायेगी
    कैलैंडर की नयी तारीख़ में कल
    नये साल की पहली सुबह.. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी भाव।
    व्यस्ता के चलते देर से आयी। समय मिलते ही सभी रचनाए पढूंगी।
    मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार आदरणीय श्वेता दी।
    बहुत सारा स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  10. बीता वक़्त
    कभी लौट कर नही आता /तुम भी आज खूब
    जश्न मना लो/क्यों कि जो
    आज तुम्हारा है / वो कल तुम्हारा नही होगा
    आज जहाँ मैं खड़ा हूँ / कल तुम वहाँ होंगे
    और जहाँ आज तुम हो / वहाँ कल कोई और होगा।
    सारगर्भित संदेश के साथ बारहमासी छटा बिखेर दी आपने इक्कीस की विदा बेला में...प्रस्तुति देखकर तो इक्कीस जाते जाते भी इतरा ही रहा होगा...।
    कमाल की प्रस्तुति है आज की श्वेता जी !साधुवाद श्रमसाध्य संकलन एवं प्रस्तुति हेतु...।
    मुझे अपनी उपस्थिति पर अत्यंत खुशी हो रही है
    इसके लिए तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
    नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह ! नववर्ष की पहली सुबह आनंद आ गया ।बहुत ही सुंदर शब्द संयोजन से कुसुमित भूमिका के साथ फूलों जैसा खिला खिला अंक । और इस बगिया के बीच मेरी रचना को, जो मुझे बड़ी प्रिय है,आपने शामिल किया,बहुत शुक्रिया । बहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
    नव वर्ष आपके तथा सभी के जीवन में सतत खुशियां बरसाता रहे । और "पांच लिंकों का आनंद" हमे इसी तरह प्रेरणा देता रहे । हमारे नव सृजन का आधार बने ।
    आप सभी के श्रमसाध्य कार्य को नमन और वंदन ।
    नववर्ष पर सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाइयां 💐💐🙏🙏

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  13. बहुत सुंदर संकलन
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  14. बेहतरीन प्रस्तुति। मेरी रचना को संकलन में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। देरी से आने के लिए क्षमा।

    जवाब देंहटाएं

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