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रविवार, 28 नवंबर 2021

3226..बुरा वक्त बता कर नहीं आता

सादर अभिवादन
नवम्बर की विदाई होनी है
चहल-पहल तो दिसंबर मे ही रहेगी
बहुत कम इसाई हैं फिर भी
इसाइयत कुछ ज़ियादा ही है
कान्वेन्ट स्कूलों ने सब सिखा दिया है
बहरहाल चलें रचनाओं की ओर...

ज्योति दीदी के साथ एक अनहोनी हो गई पढ़िए उन्हा की जुबानी


दोस्तों, सामान्यतः अग्नि परीक्षा एक बार ही ली या दी जाती है। लेकिन मुझे तो जब तक मैं जिंदा हूं तब तक...जिंदगी के हर पल और हर क्षण ये अग्नि परीक्षा देनी है! मतलब 20 साल आगे चलने वाली कमजोर हड्डियों के साथ खुद को एडजस्ट करते हुए ही जीना है!!!




है कमर झुकी - झुकी ,
बुझे - बुझे से हैं नयन।
हस्त कम्पित कर रहे,
आज लाठी का चयन।

है जुबां खामोश अब,
मन कहीं छूटा सा है।
रुग्ण और क्षीण तन,
विश्वास भी टूटा सा है।




जब कुछ भी न दिखे,
पानी भी नहीं,
तो बंद कर दें चप्पू चलाना,
कानों में पड़ने दें
बहते पानी की आवाज़.

बहुत दिनों से हमने सुना नहीं है
कि ब्रह्मपुत्र कहना क्या चाहता है.




अपनत्व, ज्यूं हो महज शब्द भर,
बेगानों में, लगे सहज कैसे, ये सफर,
अक्सर, प्रश्नों में, डूबता हूँ,
ममत्व भरा, वही गाँव ढ़ूंढ़ता हूँ!




पूजा-अर्चना कर ली,
कार्य सिद्ध हो गया तो
फिर तुम कौन तो मैं कौन
हम नदियों को देवी या माँ का दर्जा देते आए हैं ! पर क्या हमने किसी एक भी नदी के पानी को पीने लायक छोड़ा है ! कहीं पीना पड़ जाता है, तो वह मजबूरी वश ही होता है ! प्रकृति द्वारा मुफ्त में प्रदान इस जीवनदाई द्रव्य की हमने कभी कद्र नहीं की ! उसी का परिणाम है जो उस पर हजारों रूपए खर्चने पड़ रहे हैं ! जल देवता कहते-कहते हमारा मुंह नहीं थकता ! पर आज जैसी इस देवता की दुर्दशा कर दी गई है, तो लगता है जैसे इसके भी देवता कूच कर चुके हैं !
....
इति शुभम
कल शायद फिर
सादर

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. हर सृजन सराहनीय और पठनीय के साथ साथ सारगर्भित भी है,हर लिंक पर गई,आपके चयन और श्रम को नमन और वंदन 💐🙏

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  2. उम्दा संकलन। मेरी रचना को पांच लिंको का आनंद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कृष्ट लिंक संकलन लाजवाब प्रस्तुतीकरण...मेरी रचना को स्थान दजने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी!
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  4. मुझे शामिल करने का आभार।
    बढ़िया लिंक,इस बहाने कुछ ब्लॉग देखा पाई।आभार

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  5. बढ़िया लिंक संयोजन के साथ मनभावन प्रस्तुति आदरणीय दीदी। ज्योति जी के साथ जो हुआ पढ़कर स्तब्ध हूं। जीवन में क्या , कब और क्यों हो जाए कह नहीं सकते। आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि वे जल्द ही अपनी अग्नि परीक्षा से पर खरी उतर कर विजेता बनकर लौटेंगी। उनके लिए हार्दिक शुभकामनाएं। आज के अन्य सभी रचनाकारों को बधाई । आपको आभार सुंदर प्रस्तुति के लिए 🙏🙏

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  6. उत्कृष्ट रचना संकलन
    प्रिय ज्योति जी शीघ्र स्वस्थ हों यही कामना है।

    जवाब देंहटाएं

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