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बुधवार, 17 नवंबर 2021

3215...मै रोज तकूं उस पार..

 ।। उषा स्वस्ति।

"व्यक्ति में इतनी ताकत हमेशा होनी चाहिए कि अपने दुख, अपने संघर्षो से अकेले जूझ सके।"

-मन्नू भंडारी


सशक्त और स्वाभिमानी लेखिका, अपने साहित्यिक कृतियों के रूप में पाठकों के दिल में हमेशा बनी रहेंगी।
💐💐शत् शत् नमन.💐💐
आज की पेशकश में शामिल रचनाओं पर नज़र डालें✍️


खो गए प्रेम के गीत

मै रोज तकूं उस पार
हे प्रियतम कहां गए
छोड़ हमारा हाथ
अरे तुम सात समुंदर पार
नैन में चलते हैं चलचित्र
छोड़ याराना प्यारे मित्र
न जाने कहां गए......
एकाकी जीवन अब मेरा
सूखी जैसी रेत
भरा अथाह नीर नैनों



और पुरुषवादी भी, 

मगर त्रिया विरोधी कभी नहीं.. 

    ❄️

धूप छुपी मौसम बदला फिर लिफ्ट मिल गई मौके पर.
कतरा-कतरा शाम पिघलती देखेंगे चल छज्जे पर.
 
तेरे जाते ही पसरी है एक उदासी

❄️

जीव

या जीवन का मोल बता,

या इसको फिर अनमोल बता

या तो इसको तौल बता,

 या राज फिर इसके खोल बता।

जीवन है ग़र , एक बगिया,

 तो खिलने का जरिया दे दे।

❄️

दर्द का दिल  ठिकाना हो गया ..खरूदी राम जरयाल

जब कठिन रिश्ता निभाना हो गया
दर्द का  दिल  में  ठिकाना हो गया

प्रीत की चादर  पे  शर्तें  जब तनीं
लुप्त  सारा  ताना-बाना..
❄️
।।इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. प्रीत की चादर पे शर्तें जब तनीं
    लुप्त सारा ताना-बाना..
    wow

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार रचनाओं का संगम
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति और मनमोहक रचनायें। मन्नू भंडारी जी की पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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