---

बुधवार, 3 नवंबर 2021

3201..एक मुठ्ठी उत्साह..

।।प्रातः वंदन।। 

न चाँद हूँ...न चमकता हुआ सितारा हूँ

किसी के लम्स की लौ से जला शरारा हूँ

जो देखना हो मुझे तो ज़रा ठहर जाना

मैं मंज़रों के बहुत बाद का नज़ारा हूँ

गौतम राजऋषि

जानती हूँ आप सभी को जल्दी है साथ में मुझे भी..अब दीपावली पर्व ही ऐसी है अंधियारे और उजियारे का उजियारा पर्व.. इसलिए तो कह रहे हैं,'जो देखना हो मुझे तो ज़रा ठहर जाना' चलिये आज की प्रस्तुति में शामिल रचनाओं पर गौर फ़रमाये..✍️

         - डॉ शरद सिंह
सुबह
सूरज की किरणों के साथ
सहेज कर रखी
एक मुट्ठी आशा
और
एक मुट्ठी उत्साह,
भर गई थीं ..
🔅🔅

आईने के रंग
रिवाजों से परे इश्क लगा जब से l 
गली के मोड़ वाली उस लड़की से ll

फितूर बदल आईने ने अजनबी बना दिया l 
हमें अपने ही शहर के गली चौराहों में ll

ई-पुस्तक | मेरी कमज़ोर लघुकथा (लघुकथाकारों द्वारा आत्म-आलोचना) | शोध कार्य

(पृष्ठ संख्या 78 पर मेरी रचना और आ०विभा दी की रचना 111 में शामिल...)
विश्व भाषा अकादमी  (रजि),भारत की राजस्थान इकाई द्वारा लघुकथाओं पर शोध कार्य के तहत एक अनूठे ई-लघुकथा संग्रह का प्रकाशन किया गया है। इस संग्रह में विभिन्न लघुकथाकारों की 55 कमज़ोर लघुकथाओं..

🔅🔅

सुन मेरे 

अवकाश- प्राप्त मित्र

अनछुएँ ना रह जाए 

वो मनचाहे इत्र

जिन्हें पुरवा 

लेकर आती 

और पछुवा 

उड़ा जाती 

तैर जाते स्मृति..

।। इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️





2 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बेहतरीन अंक
    उत्सवों की शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाएं..
    इस घोर व्यस्तता में चर्चा?
    साधुवाद.
    सादर..

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।