---

शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2021

3175....चौराहों पर उसको उछाला जाएगा ..

शुक्रवारीय अंक में
मैं श्वेता
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन
करती हूँ।

-------

देवी का आह्वान करने से तात्पर्य  मात्र विधि-विधान से मंत्रोच्चार पूजन करना नहीं, अपितु अपने अंतस के विकारों को प्रक्षालित करके दैवीय गुणों के अंश को दैनिक आचरण में जागृत करना है।
व्रत का अर्थ अपनी वृत्तियों को संतुलित करना और उपवास का अर्थ है अपने इष्ट का सामीप्य।
अपने व्यक्तित्व की वृत्तियों अर्थात् रजो, तमो, सतो गुण को संतुलित करने की प्रक्रिया ही दैवीय उपासना है।
देवी के द्वारा वध किये दानव कु-वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे-
महिषासुर शारीरिक विकार का द्योतक है
चंड-मुंड मानसिक विकार,
रक्तबीज वाहिनियों में घुले विकार,
ध्रूमलोचन दृश्यात्मक वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है,
शुम्भ-निशुम्भ भावनात्मक एवं अध्यात्मिक।
प्रकृति के कण-कण की महत्ता को आत्मसात करते हुए
ऋतु परिवर्तन से सृष्टि में उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा का संचयन करना और शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक विकारों का नाश करना नवरात्रि का मूल संदेश है।


-----//////----
आइये आज की रचनाएँ  पढ़ते हैं-
------

प्रेम के पलायन की यात्रा

ज़िंदगी से
प्रेम का पलायन
यूं ही 
नहीं होता...
टूटता है रफ़्ता-रफ़्ता
हममें बहुत कुछ
और बदलता है
कलेवर हर इक जज़्बात का


 रफ़्ता-रफ़्ता

अपने मकां के सरमाये को अपने मकां तक रहने दो 
वरना इक दिन चौराहों पर उसको उछाला जाएगा 

दुनियाँ के अच्छे शेरों के शौक लगेंगे जब तुम को 
मीरो ग़ालिब मोमिन का दीवान खँगाला जाएगा  
-------


हे माँ दुर्गे 
बताओ
कोख में मरती बेटी
दहेज हेतु जलती बहू 
आबरू लूट कर
अट्टहास करने वाला
कहाँ रहता वह शैतान है...

----------

वस जिसे आती है उसे छोड़ हर किसी कि

आँखें नम कर जाती है ये मौत ।

न अरमानों से दोस्‍ती न ख्‍वावों से वैर

न हक्कितों का सहारा और न झूठ से दिललगी

वस कश्‍मशाती बाँहों में भर लेती है ये मौत ।

न जानें कैसी है ये मौत


------



सीधी सी बात हो  गई है ! जिससे कोई फ़ायदा नहीं उसका कोई मोल नहीं ! तुम्हारी कोई उपादेयता है तो बने रहो नहीं तो तुम अपनी जिम्मेदारी खुद हो ! इन बदलावों का सबसे बड़ा असर उम्रदराज व अवकाशप्राप्त लोगों पर साफ़ दिखना शुरू हो चुका है ! उनकी तमाम सेवाओं, मेहनत, समर्पण को सिरे से भुला दिया जाता है ! उन्हें सम्मान तभी मिलता है, जब उनके पिछवाड़े अभी भी कोई ''कुर्सी'' हो या फिर माथे पर कोई तमगा चिपका हो ! जरा सा गौर करेंगे तो सैलून में, मॉल में, हाट-बाजार में दसियों उदाहरण मिल जाएंगें जहां इन्हें "फॉर ग्रांटेड" ले लिया जाता है ! 
-------

कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।
-------

4 टिप्‍पणियां:

  1. मातेश्वरी की जय हो
    आभार आज एक नया ब्लॉग से परिचय हुआ
    जिन्‍दगी कि रेस में धड़कनों कि
    रफ्तार को भी पीछे छोड़ देती है ये मौत ।
    दोस्‍तों से दुश्‍मनों तक उलझनों से उलफतों तक
    साँसों से धड़कनों तक एक पल में
    सवको अज़नवी कर जाती है ये मौत
    न जानें कैसी ये मौत
    शानदार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. व्रत उपवास की उपयोगिता पर सारगर्भित विचार रखते हुए अच्छे लिंक्स तक पहुँचाया है । बेहतरीन हलचल । 👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण भूमिका प्रिय श्वेता। मां शब्द अपने आप में सम्पूर्ण सृष्टि और अनंत छांव का परिचायक है। मां के वात्सल्य और आत्मीयता का संसार में कोई सानी नहीं। सम्पूर्ण विश्व जननी और पालनकर्ता के रूप में, मां जगदम्बा की आराधना और उपासना की जाती है। नवरात्रे के रूप में नवदिवस अपने आप में सम्पूर्ण शक्ति जागरण के लिए विशेष माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है, इनमें आध्यात्मिक दृष्टि से भी और वैज्ञानिक आधार पर भी आंतरिक और बाह्य शक्ति संचयन की क्षमता का विस्तार होता है। त्रिगुणात्मक वृतियों को संतुलित करने की प्रक्रिया को बल मिलता है। तुमने बहुत गहनता से चिन्तन कर नवरात्री को बखूबी परिभाषित किया है। सभी लिंकों बढ़िया है। मंच परराजेश जी की बहुत दिनों बाद वापिसी से खुशी हुई। सभी रचनाकारों और पाठकों को नवरात्री की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

    नवरात्री पर तुम्हेंबभी बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. महिषासुर शारीरिक विकार का द्योतक है
    चंड-मुंड मानसिक विकार,
    रक्तबीज वाहिनियों में घुले विकार,
    ध्रूमलोचन दृश्यात्मक वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है,
    शुम्भ-निशुम्भ भावनात्मक एवं अध्यात्मिक।... बहुत ही तीक्ष्ण बुद्धि से किया गया विश्लेषण,बहुत ही सार्थक जानकारी । हमेशा पढ़ती हूं,पर इस अलग अलग परिदृष्य पर ध्यान नहीं गया, बहुत आभार श्वेता जी आपका बहुत आभार ।सुंदर संकलन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।