---

शनिवार, 4 सितंबर 2021

3141... हिन्दी दिवस पखवाड़ा

   

 हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...

शौरसेनी नामक प्राकृत मध्यकाल में उत्तरी भारत की एक प्रमुख भाषा थी। यह नाटकों में प्रयुक्त होती थी (वस्तुतः संस्कृत नाटकों में, विशिष्ट प्रसंगों में)। बाद में इससे हिंदी-भाषा-समूह व पंजाबी विकसित हुए। दिगंबर जैन परंपरा के सभी जैनाचार्यों ने अपने महाकाव्य शौरसेनी में ही लिखे जो उनके आदृत महाकाव्य हैं। शौरसेनी उस प्राकृत भाषा का नाम है जो प्राचीन काल में मध्यप्रदेश में प्रचलित थी और जिसका केंद्र शूरसेन अर्थात् मथुरा और उसके आसपास का प्रदेश था। सामान्यत: उन समस्त लोकभाषाओं का नाम प्राकृत था जो मध्यकाल (ई. पू. ६०० से ई. सन् १००० तक) में समस्त उत्तर भारत में प्रचलित हुईं।

किशोरी लाल गोस्वामी द्वारा कृत 'इन्दुमती' को मुख्यतः हिन्दी की प्रथम कहानी का दर्जा प्रदान किया जाता है।भले ही इंशाअल्लाह ने इसे कहानी कहा है लेकिन इसमें कहानी तत्व की अपेक्षा कथा तत्व ही अधिक है

भारतेन्दु के पूर्ववर्ती नाटककारों में रीवा नरेश विश्वनाथ सिंह (१८४६-१९११) के बृजभाषा में लिखे गए नाटक 'आनंद रघुनंदन' और गोपालचंद्र के 'नहुष' (१८४१) को अनेक विद्वान हिंदी का प्रथम नाटक मानते हैं।

जयशंकर प्रसाद कृत 'एक घूँट' एकांकी को प्रथम एकांकी माना जाता है..एकांकी आरंभ होते ही चरम परिणति की ओर द्रुत गति से भागना प्रारंभ करती है। जबकि नाटक में गति विकास धीमा हो सकता है।

बालमुकुंद गुप्त द्वारा सन् 1907 में प्रतापनारायण मिश्र पर लिखे संस्मरण को हिंदी का प्रथम संस्मरण माना जाता है।महादेवी वर्मा ने पथ के साथी में अपने समकालीन लेखकों के संस्मरण लिखा है जिसमें पंत, निराला, सुभद्रा कुमारी चौहान, मैथिली शरण गुप्त के संस्मरण है|

हिन्दी में प्रथम रेखाचित्र -पदम पराग (1929 )पदम सिंह शर्मा को मानते हैं... हिंदी साहित्य की सुप्रसिद्ध का वित्त एवं लेखा श्री महादेवी वर्मा द्वारा लिखित गिल्लू रेखाचित्र विधा पर आधारित एक अनुपम रचना है।

विश्वनाथ एम० ए० के अनुसार- इन्होने मुंशी सदासुख लाल को हिन्दी का पहला निबंधकार माना है। निबंध ‘सुरासुर निर्णय’ 1840 ई० में किया।भारतेंदु हरिश्चंद्र के द्वारा लिखा गया (1872 ई०) में लिखा गया ‘नाटक’ निबंध हिन्दी का पहला (आलोचनात्मक) निबंध है।

>>>>>>><<<<<<<
पुन: भेंट होगी...
>>>>>>><<<<<<<

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    पखवाड़े की क्या आवय़कता
    पूरे 365 दिन हिन्दी का ही हो
    अगले अंक की बेसब्री से प्रतीक्षा
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. अत्यधिक रोचक सूत्र। आभार इस गहन शोध का।

    जवाब देंहटाएं
  3. गिल्लु कहानी अशुद्धियों से भरी है। सम्पादन की आवश्यकता है।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. अति सुंदर सार्थक और पठनीय संकलन ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।