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शनिवार, 24 जुलाई 2021

3099...लघुकथा

  हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और सभी पुराणों की रचना की थी। महर्षि वेदव्यास के योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है।

लघुकथा

शहर का प्रसिद्ध टैगोर थियेटर खचाखच भरा हुआ है | जिन दर्शकों को सीट नहीं मिली है वे दीवारों से चिपके खड़े हैं | रंगमंच के पितामह कहे जानेवाले नीलाम्बर दत्त आज अपनी अन्तिम  प्रस्तुति देने जा रहे हैं |

     हॉल की रोशनी धीरे-धीरे बुझ रही है, रंगमंच का पर्दा उठ रहा है |

लघुकथा

क्षिप्रता के बिना लघुकथा का सृजन ही सम्भव नहीं है। क्षिप्रता ही वह गुण है जो लघुकथा में अनावश्यक शब्दों को रोकता है। क्षिप्रता शब्दों में मितव्ययिता को जमकर प्रोत्साहन देती है। यही कारण है कि मैं लघुकथा को स्थूल से सूक्ष्म की यात्रा मानता हूँ और इसे इसी रूप में परिभाषित भी आरम्भ से करता आया हूँ। इस सन्दर्भ में कुणाल शर्मा की ‘उसका जिक्र क्यों नहीं करते?’ लघुकथा का सहज ही अवलोकन किया जा सकता है। (पड़ाव और पड़ताल, खण्ड-30)

लघुकथा

विश्व भाषा अकादमी, राजस्थान इकाई का ई-लघुकथा संग्रह |

 सम्पादक: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

लघुकथा

पड़ाव और पड़ताल अब मुफ्त में

लघुकथा

बाजारवाद, प्रदूषण, आतंकवाद, नित्यप्रति हो रहे घोटाले,प्रांतवाद को प्रोत्साहित करती जा रही घटनाएँ, इसके अतिरिक्त पात्रों के मनोजगत को विश्लेषित करते विषय लघुकथा को टटकापन प्रदान करने में सक्षम हो सकते है। इंटरनेट,रोबोट,मोबाइल इत्यादि आधुनिक विज्ञान–विकास के क्षेत्र में लाभ के साथ–साथ हो रही सामाजिक हानि पर प्रकाश डालने वाले  विषय भी महत्त्वपूर्ण हो सकते है।

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पुन: भेंट होगी...
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7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    क्षिप्रता के बिना लघुकथा का सृजन ही सम्भव नहीं है। क्षिप्रता ही वह गुण है जो लघुकथा में अनावश्यक शब्दों को रोकता है। क्षिप्रता शब्दों में मितव्ययिता को जमकर प्रोत्साहन देती है।
    बेहतरीन अंक..
    सादर नमन

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  2. आदरणीय पुष्करणा सर की लघुकथा के संबंध में विस्तृत,ज्ञानवर्धक सूक्ष्म बिंदुओं का बृहद विश्लेषण और मधुदीप सर की अत्यंत संदेशात्मक,सराहनीय लघु कथाएँ।
    गुरु पूर्णिमा पर गुरु को समर्पित यह अंक संग्रहणीय है दी।
    गुरूओं को सादर नमन एवं वंदन।

    प्रणाम दी।
    सादर।

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  3. आदरणीय विभा दीदी के द्वारा प्रस्तुत इस अंक से लघुकथा के बारे में जिज्ञासा बढ़ गई, हम सभी लघुकथा को अपने हिसाब से लिख लेते हैं,पर सुंदर नियोजित शब्दो के संयोजन की जानकारी होनी चाहिए,ये अंक लघुकथा की जानकारी के बारे में मार्ग प्रशस्त करेगा,गुरु पूर्णिमा पर आदरणीय विभा दीदी के साथ साथ सभी गुरुओं को मेरा सादर प्रणाम, जिज्ञासा सिंह 🙏🙏💐💐

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  4. लघुकथा के इतिहास से लेकर उसकी समीक्षा के बिंदुओं तक कि यात्रा ज्ञानवर्धक रही ।
    आभार

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  5. संग्रहणीय योग्य विषय विशेष पर प्रस्तुति।
    सादर

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  6. बहुत सुंदर, गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. हार्दिक आभार आदरणीया विभा दी।

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