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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

3091....उनसे कहिए चलने का अंदाज़ बदल दें

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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स्वयं समर्थ हो तुम
जीवन का सार
संपूर्ण अर्थ हो तुम
उठाओ कटारी 
काट डालो
दुख की हर डाली 
रोक लो लौटते
सुख को
अड़ जाओ पथ पर
बाँध दो
ज़िद की ज़जीर भारी।
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आज के अंक का सौभाग्य है चिट्ठाजगत के वरिष्ठ और सम्मानीय रचनाकारों की रचनाएँ मिली हैं, इन साहित्यकारों की रचनाओं का विश्लेषण करने की घृष्टता हम नहीं कर सके , आप पाठक अनुभव से अलंकृत विशिष्ट लेखन का आनंद उठाये,
और अपनी समीक्षा भी अवश्य लिखे यही तो सबसे बहुमूल्य उपहार और पुरस्कार होता है हर क़लमकार के लिए।

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दीपशिखा

आने की उनकी मधुर कल्पना,
लौ को लप-लप फैलाती थी।
सूखा तिल-तिल, तेल भी तल का,
प्रतिकूलता अकुलाती थी।

अहक में अपनी बहक-बहक जो,
कभी बुझी-सी,  कभी धधकती।
नेह राग का न्योता लेकर,
झंझा को देती चुनौती।

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उनसे कहिए चलने का अंदाज़ बदल दें


दौड़ने से आपके हृदय और फेफड़ों के कार्य में आश्चर्यजनक सुधार के अतिरिक्त , मसल्स का मजबूत होना , बेहतर नींद और स्वच्छ खून , पेट के रोग , बढ़ा हुआ वजन , डायबिटीज, हृदय रोग और हाइपरटेंशन गायब होते नजर आते हैं !


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टाई की नॉट


लड़के ने 
पिता से पूछा
विवाह में 
लड़की को
लहंगा,चुनरी,जेवर
और श्रृंगार का सामान
क्यों देते हैं
पिता ने कहा 
उसके सजने संवरने के लिए
वह क्या कहते
कि मैं 
बेटे को बेच रहा हूँ

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बात या लब्बोलुआब तो यही है कि इस दुनिया में ''हमारा'' रहने का एक ही या एकमात्र स्थान हमारा शरीर ही है ! वह है, तभी हम हैं ! वह है, तभी सारी अनुभूतियां हैं ! वह है, तभी सुख-दुःख, भोग-विलास, प्रेम-प्यार, मोह-ममता, तेरा-मेरा, जमीन-जायदाद, धन-दौलत इन सबका उपयोग व उपभोग संभव है ! यदि शरीर ही नहीं तो फिर हर चीज बेमानी है ! इसलिए सबसे पहले इसे संभालने, स्वस्थ रखने और सदा चलायमान बनाए रखने का उपक्रम और ध्यान होना चाहिए। खासकर हर बदलते मौसम में इस पर कुछ अतरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता होती है ! पर विडंबना है कि हम इसी का ध्यान नहीं रखते ! चौबीस घंटों में इसे आधा-पौना घंटा देने का समय भी हमारे पास नहीं होता ! 

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और इतना सब कह कर भी इस बात को तय कर पाने के लिएकि आप पूछने वाले पर अपने ज्ञानी होने की पूरी छाप छोड़ पाये या नहीं और उसे सदैव मूरखता से अभिशप्त रहने का अहसास दिला पाये या नहीं....आप उससे यह पूछने से बाज नहीं आते कि ’क्या समझेसमझे कि नहीं?”

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कल का विशेष अंक 
लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी




10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    लड़के ने
    पिता से पूछा
    विवाह में
    लड़की को
    लहंगा,चुनरी,जेवर
    और श्रृंगार का सामान
    क्यों देते हैं
    बेहतरीन अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. रचना पसंद करने के लिए आभार श्वेता जी ...

    जवाब देंहटाएं
  3. आज कल लोग टाई की नॉट ठीक करते करते यूँ ही जुमले बोलते रहते , न जाने कब कौन सा जुमला क्या कहर ढा दे पता नहीं , और ये सावन के साथी कह रहे कि चलने का अंदाज़ बदल दें और हम जैसे लोग बस दीपशिखा से जलते रहते ।
    सारे लिंक्स बेहतरीन
    समीर जी का व्यंग्य हमेशा की तरह धारदार , सतीश जी स्वस्थ को ले कर जागरूक करने की मुहिम पर, ज्योति खरे जी रिश्तों को बहुत बारीकी से बुनते हैं ,सावन के साथी के द्वारा घतेलु उपचार के महत्त्व की बढ़िया जानकारी मिली । दीपशिखा नई चुनौतियों का सामना करने को प्रेरित करती हुई ।आनंद आया सब पढ़ने में ।
    सस्नेह

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे भी सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर सूत्रों का संकलन एक प्रेरक भूमिका के साथ। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर,सराहनीय तथा पठनीय अंक, बहुत शुभकामनाएं श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी भूमिका के साथ सुंदर सूत्र संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. काट डालो/दुख की हर डाली /रोक लो लौटते/सुख को// वाह सुंदर पंक्तियाँ प्रिय श्वेता |
    बहुत बढिया भूमिका के साथ ब्लॉग जगत के दिग्गजों का सुखद जमावड़ और बहुरंगी रचनाएँ | पढ़कर अच्छा लगा | सतीश जी का योगदान सेहत के मामले में अतुलनीय है | अपने माध्यम से दौड़कर सेहत सुधारने की मुहीम में उन्होंने बहुत लोगों को प्रेरित कर शामिल किया है | उनका लिखा रोचक सार्थक गीत --- भाग बुद्धे भाग - यु कैन रन -- अद्भुत प्रेरण भरा है |उनके ब्लॉग पर सबको एक बार जरुर जाना चाहिए |गगन जी ने भी अच्छा लिखा सेहत के बारे में | सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनाएं|तुम्हें भी शुभकामनाएं इस सार्थक अंक के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  9. सारगर्भित भूमिका के साथ लाजवाब हलचल प्रस्तुति
    सभी लिंक्स बेहद उत्कृष्ट एवं पठनीय।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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