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गुरुवार, 24 जून 2021

3069 ..गुलमोहर की छाँव में, फूल रहा अनुराग

सादर अभिवादन
आज सुबह-सुबह रवीन्द्र जी नही दिखे
चलिए मैं दिख जाती हूँ

आप भी देखिए...

सरसों के खेत में, हल्दी भरा रंग
सखी सहेली कर रही,कन-बतियां रस-रंग

हल्दी के थापे लगे, मन की उडी पतंग।
सखी सहेली कर रहीं, कनबतियाँ रस-रंग

सड़कों के दोनों तरफ, गंधों भरा चिराग
गुलमोहर की छाँव में, फूल रहा अनुराग


राह में कंटक मिले तो।रौंद उसको बढ़ चलो।।
हौसला रखकर हृदय में।पर्वतों पर चढ़ चलो।

मन पराजित मत करना।हिम्मत नहीं तुम हारना।।
प्रपंच से आहत न होना।मन में रखो धारना।

यहां
केवल रात होती है
सुबह
और
सुबह की उम्मीद
यहां
केवल
फरेब है।


बिना तपस्या कहाँ से पाएं ज्ञान गहन,
तज के सारे मोह करने होंगे बड़े जतन।
खुद की कमियों का कर स्वयं मनन,
प्रगक्ति पथ पर निरंतर रहे मन।

न रोक न टोका न बाँधा कभी मन।
कैसे करें भला सफलता आलिंगन ।।


"बंधु क्या कोई भी कवि मौलिक रहा, है या होगा?"
मौलिक तो केवल ईश्वर है। कविता के सन्दर्भ में मौलिक होना अलग बात है। कविता के दो पक्ष हैं भाव पक्ष और कला पक्ष। कोई कवि अपने अनुभवजन्य हृदयोदगारों को अपने ढंग से प्रस्तुत करता है तो वह मौलिक ही माना जाता है। नये बिम्ब व नवीन उदाहरण का प्रयोग भी मौलिकता की श्रेणी में आता है।


तब ज़िन्दगी ऐसी नहीं थी
कि ए-सी होता
बिजली ही नहीं थी
कि ऐसी सम्भावनाएँ बीज लेतीं
न पंखे थे
न पंख
कि कल्पनाएँ उड़ान भरतीं
..
बस
कल आएगी सखी
सादर


14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति दी।
    सभी रचनाएँ बढ़िया लगी।
    आपकी सजगता सराहनीय है।

    प्रणाम दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात, आभारी हूुं आपका यशोदा जी मेरी रचना को सम्मान देने के लिए। सभी रचनाएं श्रेष्ठ हैं और आपका चयन शानदार। गुलमोहर से शुरुआत मन को प्रसन्न कर गया। प्रकृति का नेह उसके रंगों में प्रदर्शित होता है। खूब बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति विश्व विद्या कृपाल जी साधुवाद आपको 🙏
    सभी रचनाएं मन को छू लेने वाली हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात!
    आदरणीय दीदी,सुंदर रचनाओं का संकलन प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार। सादर शुभकामनाएं.. जिज्ञासा सिंह।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संकलन, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति।सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाएं, बहुत ही बेहतरीन संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तूति ।

    न पंखे थे न पंख
    फिर भी मन में थी
    कवि की मौलिकता
    और सोचते जा रहे कि
    कैसे करें सफलता का आलिंगन
    किसी ने धीरे से कहा
    यहाँ सब फरेब है
    सुन कर आहत हुआ मन
    लेकिन फिर आवाज़ आयी कि
    रुको नहीं तुम आहत हो कर
    और कदम बढ़ते गए
    राह के दोनो ओर खिले
    गुलमोहर महक रहे थे । ....

    सब पढ़ कर आये , सबूत पेश है 😄😄😄😄

    जवाब देंहटाएं
  9. उत्कृष्ट लिंकों से सजी हलचल प्रस्तुति... ।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  10. आ.संगीता जी के सबूत ने तो एक खूबसूरत रचना रच डाली।

    जवाब देंहटाएं

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