--------चर्चा का प्रारम्भ एक मुक्तक से --------
आज कल आईने से ज्यादा चेहरा बदलता है
सहूलियत से बात ही नहीं रिश्ता तक बदलता है
सही समझा है तुमने इस मतलबी दुनिया को
अपनी जिद में इंसान दूसरों के जज़्बात नहीं समझता है .
( संगीता स्वरुप .)
आइये चलते हैं आज के पाँच लिंक के आनन्द पर ....
यूँ तो आनन्द आज कल कहीं भी न तो मिल रहा है और न ही महसूस होता है ...बस सब अपने कर्तव्य समझ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं ...इसी क्रिया में ही मैं भी ले कर आ गयी हूँ आप प्रबुद्ध पाठकों के लिए कुछ विशेष लिंक ....आज की इस चर्चा में मैं एक विशेष साहित्यकार की रचना प्रस्तुत कर रही हूँ ... आप लोगों में से बहुत से लोग परिचित होंगे और शायद कुछ न भी हों .. आज परिचय करा रही हूँ .....वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश पंकज जी से जो छत्तीसगढ़ से हैं और व्यंग्य विधा के पुरोधा हैं ... इन्होने ब्लॉग पर शायद अपना प्रोफाइल अपडेट नहीं किया है ..जहाँ तक मैंने फेसबुक पर पढ़ा था कि इनकी १०० किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं ... आज आपके लिए एक व्यंग्य ग़ज़ल ...
रामलुभाया....
राजनीति मतलब उनका है चोखा धंधा
सुबह शाम 'धंधा' करते हैं रामलुभाया
जाने कितने ठग मरते फिर पैदा हो कर
इक दिन हिट नेता बनते हैं रामलुभाया
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ऐसे रामलुभाया के बारे में सोचते हुए ज़रा आगे कदम बढायें और जाने इस दुनिया की सच्चाई कि ज़िन्दगी में कुछ लोगों को क्या क्या सहना और समझना पड़ता है ... श्री देवेन्द्र पांडे जी को ब्लॉग जगत में बेचैन आत्मा के नाम से जाना जाता है ..... आज कुछ ज्यादा ही बेचैन हो ले कर आये हैं एक लघु कथा ...
लघु कथा से कुछ पंक्तियाँ भी यहाँ दे दूँ तो फिर आप क्या पढेंगे ? इसलिए आप लिंक पर क्लिक कीजिये और इनके ब्लॉग पर ही पढ़ें कि आखिर क्या हुआ इस दिन .....
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आज जब हर जगह निराशा का साम्राज्य है कहीं कोई उम्मीद नज़र नहीं आती लेकिन हमारे कवि श्री अरुण चन्द्र राय जी मन में आशा का दीप जला रहे हैं ...
रात हुई है तो सवेरा दूर नहीं
अंधेरा है फिर उजाला दूर नहीं
थक कर रुक गए तो बात अलग
चलते रहे तो समझो मंजिल दूर नहीं।
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और जब मन में विश्वास हो तो उदास मौसम में भी कुछ हास्य का पुट हो तो ग़मगीन माहौल भी थोडा हल्का लगता है .... यूँ सुश्री सरस जी बहुत गंभीर लेखन ही अधिकतर करती हैं लेकिन व्यंग्य विधा में भी बहुत अच्छी पकड़ है . आज उनका लिखा एक व्यंग्य ....
मिसेज शर्मा अपने मोटापे से बहुत परेशान थीं । अब तक बेचारी सारी तरकीबें आज़मा कर थक चुकी थीं। शायद ही कोई सलाह, कोई सुझाव उन्होने छोड़ा हो। शायद ही कोई नुस्खा हो जो उन्होने न आज़माया हो। किसी ने कहा मिसेज शर्मा आपने कुनकुने पानी में नीबू और शहद डालकर पिया है? बहुत फायदा करता है । मेरी तो पेट की चर्बी उसीसे कम हुई ,
पूरे 6 महीने से पी रही हूँ |
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अंत में एक समसामयिक कहानी .... अपने दुःख ही सबको सबसे बड़े लगते हैं .... लेकिन कुछ लोग अपने दुःख से कुछ सीख कर मानवीय सेवा को तत्पर हो जाते हैं ..... सुश्री शरद सिंह जी की कहानी ...
‘‘हैलो, मैं सिया बोल रही हूं.... नहीं-नहीं राकेश जी, आप अपने आपको अकेला न समझें हम सभी आपके साथ हैं। खाने के पैकेट्स तो आपको मिल रहे हैं न? नहीं-नहीं, संकोच मत करिए हम सभी आपके मित्र भी हैं, भाई भी, बहन भी। हम सब आपका परिवार हैं। जो भी ज़रूरत हो निःसंकोच बताइए...।’’
‘‘दूधवाला नहीं आया! ओके मैं व्यवस्था करती हूं दूध का पैकेट भिजवाने की। आप चिंता न करें! मैं फिर कह रही हूं... आप अपने आप को अकेला महसूस न करें...हम हैं न आपके साथ।’’
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आज बस इतना ही ..... .. आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी ..... अभी भी घर पर रहिये ....सुरक्षित रहिये ....
नमस्कार
संगीता स्वरुप