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बुधवार, 26 मई 2021

3040.. अनजानी सी दस्तक से ये दुनिया ही डरी है

सादर अभिवादन
जिनके पास अपने है
वो अपनों से झगड़ते हैं,
नहीं जिनका कोई अपना
वो अपनों को तरसते है..

आज की रचनाएँ देखें

तुम  बिन थम जाएगा  साथी ,
मधुर गीतों का ये सफर ;
रूँध  कंठ में  दम तोड़ देगें
आत्मा के स्वर प्रखर ;
बसना मेरी मुस्कान में नित  
ना संग आँसुओं के बहना तुम

रह-रह, कुछ उभरता है अन्दर,
शायद, तेरी ही कल्पनाओं का समुन्दर,
रह रह, उठता ज्वार,
सिमटती जाती, बन कर इक लहर,
हौले से कहती, पाँवों को छूकर,
एकाकी क्यूँ हो तुम!


इन नाजुक हाँथों से
जिस दिन कलम की तेज धार निकलेगी,
जिस दिन रिश्तों का लिहाज़ किये बिना,
खुल कर रूढ़िवादी विचारधारा पर प्रहार करेगी,
सराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हैं,
जितने सरीफजादे ,
उनके चेहरे बेनकाब करेगी!

हर रात मोबाइल पर देश- दुनिया की खबरें
सोशल मीडिया का चक्कर
यूट्यूब की सैर
इसी में रोज बदलती है तारीख़
और सुबह उठने में देरी-
इस लॉकडाउन में सुबह की
अदरक वाली चाय
मैं खुद ही बनाता हूं
उसके बाद दूध,
सब्जी वगैरह लाने
बाजार निकल जाता हूं


वो कहते हैं करो विश्वास अपने आप पर तुम
मगर जुड़ती नहीं चटकी, जो टूटी सी कड़ी है

किसी आहट पे आँखें ढूँढती हैं कोई अपना
पर अनजानी सी दस्तक से ये दुनिया ही डरी है



एक दिन अचानक  
मृत्यु ने दस्तक दी
कहा, चलो  
चौंक गया  यह क्या  
ना शोर, न शराबा  
ना विरोध, न प्रतिरोध
...
आज बस
सादर


15 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आप ठीक तो हैं न
      परहेज़ रखिएगा
      आभार..
      सादर।.

      हटाएं
  2. वाह!बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय दीदी, नमस्कार !
    सुंदर रचनाओं का संकलन प्रस्तुत करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, मेरी रचना का चयन करने के लिए आपका बहुत आभार,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवम नमन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. चुंनिदा लिंको से सजा बेहतरीन प्रस्तुति दी,प्रिय रेणु की पुरानी रचना फिर से पढ़ने को मिली बहुत अच्छा लगा,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय यशोदा ,
    आज की सभी रचनाएँ हृदय स्पर्शी रहीं ।
    बहुत भावुक हो गया मन ।
    ईश्वर मर गया ने तो रुला ही दिया ।
    बेहतरीन संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ संध्या दीदी
      सही कह रही हैं आप
      वो ब्लॉग कापी प्रोटेक्ट है
      शायद इसीलिए मर्म कापी नहीं कर पाई
      बेहद गमनीन करने वाली रचना है
      आभार..
      सादर नमन..

      हटाएं
  7. चुंनिदा लिंको से सजा बेहतरीन और खूबसूरत चर्चा मंच
    हमारे लेख को सामिल करने के लिए
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रिय दीदी , बहुत भावपूर्ण अंक जिसकी रचनाएँ गहन विचार परक और पठनीय हैं | प्रिय मनीषा का लेख गाँव में व्याप्त सोच का सूक्ष्म अवलोकन करता है | एक युवा रचनाकार के ये तेवर समाज में परिवर्तन की किसी भावी क्रान्ति के परिचायक हैं |प्रिय जिज्ञासा जी ने भी बहुत भावुकता से आज की वस्तुस्थ्ती को शब्दांकित किया है तो अरुण जी ने मार्मिकता से मौत के औचक रूप को लिखा है | पुरुषोतम जी की लेखनी भावों के विभिन्न रंग शब्दों में उतारने में खूब माहिर है | एकाकीपन की को प्रभावी ढंग से व्यक्त करती है उनकी रचना | ईश्वर मर गया -- रचना मन को भिगो आँखें नम कर गयी | बहुत प्रिय और मन के पास ना कितने ईश्वरों को , बिना किसी आहट के मौत चुपके से चुरा ले गयी | ये घटनाएं सचमुच के ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है | मेरी रचना को मई में दुसरी बार पांच लिंक मंच पर स्थान मिला है जो मेरे लिए गर्व का विषय है | सभी रचनाकारों को मेरी शुभकामनाएं | आपको आभार और प्रणाम |

    जवाब देंहटाएं

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