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मंगलवार, 11 मई 2021

3025.....कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के.

घुटने टूटे सुपरशक्ति की तानाशाही के
कितने खौफ़नाक मंज़र हैं यहां तबाही के. 
फंसी हुई दुनिया कैसे अपने ही पांसों में 
एक वायरस टहल रहा

आदम की सांसों में...

सादर नमन.....
हे ईश्वर.....
अब तो रहम करो......
बहुत हो गया...... 
अंतिम आस तुम पर ही है...... 
अब देखिये..... 
आज के लिये मेरी पसंद..... 

खुशनसीबी मानिए कि सहरा में आ गए, 
वरना तो मक़्तल की ठहर बेचते हैं लोग। 

किसलिए लिखते हो आज़ाद ग़ज़ल तुम, 
ज़फ़र चंद सिक्कों में बहर बेचते हैं लोग। 

जिस भी इंसान के मन में डर रहेगा, वह कभी भी खुलकर जी नहीं पाएगा, डर हमेशा आपको नाश और अंत की ओर ही अग्रसर करता है, अक्‍सर डर में हम कुछ ऐसे कम कर जाते हैं, जिन पर बाद में हमे खुद बहुत पछतावा होता है. महाभारत के पात्रों में डर और उसके परिणामों को खुब दिखाया गया है, धृतराष्ट्र का गद्दी हाथ से जाने का डर, दुर्योधन का पांडवों से हार जाने का डर, कर्ण का अपनों के ही विरुद्ध युद्ध का डर. इन सभी पात्रों के निर्णयों को प्रभावित करता हुआ दिखा. इससे यह सीख मिलती है कि जब तक आपके मन में डर है, आप सही निर्णय नहीं ले पाएंगे और यह आपके भविष्‍य को भी प्रभावित करेगा।  

ऐसा ही कल रात भी हुआ. मैंने नींद की गोली नहीं खायी और खूब व्यायाम किया. पैदल चली. खुद को खूब थकाया और एक एनिमेशन फिल्म देखते हुए आराम से सो भी गयी लेकिन वही रात के आधे सफर में टक से खुल गयी नींद. और फिर सारे दुःख सिमटकर घेरकर बैठ गए. दुःख से डूबे चेहरे, लाचार लोग, मृत्यु, अवसाद, गले लगकर रो तक न पाने की पीड़ा...जब पौ फटी तो दिल को सुकून हुआ कि रात कटी तो सही. ये रात तो कट गयी लेकिन ये जो विशाल जीवन एक उदास रात में बदल गया है ये कैसे बदलेगा. पता नहीं. 

कोरोना काल                   
अतः फिर भी आपको उम्मीद के संग अब भी होशियार और सचेत रहने की जरूरत है जब तक बाजी आपके हाथ न आ जाये।जरूरत न हो तो घर पर रहे और बाहर निकले तो मास्क और दूरी का अवश्य ध्यान रखे।बाकी आपकी मर्जी...... 

मुक्तक - वक्त को कौन रोक पाया है,  
वक्त को कौन रोक पाया है
वक्त आता है, चला जाता है।।
 
दीर्घकालिक उपाय के तौर पर मैं लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए हर संभव कोशिश करता। एक दौर में कोरोना से दुनिया का सबसे प्रभावित देश रहा था अमेरिका। वह दुनिया का सबसे अमीर देश भी है। हमारी सबसे बेहतर तैयारी होनी चाहिए थी, लेकिन हम बुरी तरह प्रभावित हुए। वायरस यह नहीं देखता कि आप कितने अमीर, विकसित और उन्नत हैं। अगर आप इसके खतरे को नहीं पहचानेंगे तो यह आपको बड़ी मुसीबत में डाल देगा। 
 धन्यवाद।

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    फंसी हुई दुनिया कैसे अपने ही पांसों में
    एक वायरस टहल रहा आदम की सांसों में...
    बेहतरीन अंक..
    आभार आपका..
    सादर..

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  2. अच्छा संकलन है...। ये दौर वाकई बहुत कठिन है सभी को संभलना होगा।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. प्रिय साहित्यकार भाई बहनों आशा है आप सपरिवार असल कुसल होंगे। आज का लिंक कुछ चिन्तित करने वाला लगा। सारे लोग अति गम्भीर लग रहे है। खैर बात चिन्तित होने की भी है। कोहराम मचा है लेकिन ज्यादा सिरियस लेने का नायी। सब राशन का चक्कर है। दोस्तो घबराने का नायी। इस काल के मुंह से वही बाहर आयेगा जो घबरायेगा नहीं। हमारी शक्ति इससे कई गुना जादा है ये विस्वास खुद को देना होगा। एक सैनिक होने के नाते मुसीवतों से पार पाने का मेरेा व्यगतिगत अनुभव है। सो प्लीज साकारात्मक रहीए योग प्रणायाम करते रहीए। खुश रहिए और करोना से जीतये सब ठीक होगा।
    जय हिन्द।

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    उत्तर
    1. मैं सहमत हूँ। अब सबको मनोबल बढ़ानेवाले, प्रेरक पोस्ट लिखने चाहिए। कोरोना से जंग जीतकर ठीक होनेवालों की कहानियाँ और उनके अनुभव भी सामने आएँगे तो अच्छा रहेगा।

      हटाएं
  5. आज दो अंक साथ ही पढ़े। वैसे तो रात के बारह बज चुके हैं और पता नहीं ये आज है या कल है। भाईसाहब कुलदीपजी की बेहतरीन प्रस्तुति।

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