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शनिवार, 8 मई 2021
3022... अभ्यस्त
11 टिप्पणियां:
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आदरणीय दीदी,सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंदूर कहीं जो आशा की किरण है,उसका अहसास कराती हुई उत्कृष्ट रचना । सब अच्छा होगा,और आपसे अक्सर भेंट होगी,आप स्वस्थ रहें,सभी स्वस्थ रहें,इसी शुभकामना के साथ..ज्यादा सिंह ।
सादर नमन
जवाब देंहटाएंउच्चकोटि की रचनाएं
एक कविता के माध्यम से
आभार..
लाज़वाब लिंक!!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी,
जवाब देंहटाएंएक कवि का भावपूर्ण परिचय, कविता के माध्यम से पर्यायवाची सिखाने के रोचक और अद्भुत प्रयास के साथ प्रसून जोशी की अनमोल रचना। मन को स्पर्श कर गईं। आजके नायाब अंक में शामिल सुंदर रचनाओं के रचियताओं को सादर नमन। आपको हार्दिक आभार अभ्यस्त जैसे। नीरस विषय पर। लाजवाब रचनाएं ढूंढने के श्रम साध्य कार्य के लिए 🙏🙏❤️❤️🌷💐
सर्प क्यों इतने चकित हो
जवाब देंहटाएंदंश का अभ्यस्त हूं
पी रहा हूं विष युगों से
सत्य हूं आश्वस्त हूँ
***प्रसून जोशी***"
👌👌👌👌🙏🙏
बेहतरीन लिंक्स।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम, अत्यंत- अत्यंत सुंदर प्रस्तुति। हर एक रचना पढ़ कर आनंद आया।"अभ्यस्त"शब्द पर केंद्रित एक विविध और प्रेरणादायक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशनिवार की यह विशेष प्रस्तुति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है और हर शब्द के अनेक अर्थ और उस से जुड़े अनेक भाव और विचार भी मिलते हैं। हृदय से आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए जो प्रेरणा भी देती है और आशा की किरण भी दिखलाती है।आप सबों को प्रणाम।
पर्यायवाची शब्द और शब्द समूह के एक शब्द वाली कविता की प्रेरणा से मेरे मन में कुछ पंक्तियाँ आईं।
जवाब देंहटाएंमृत्यु का समय, वही काल,
जिसके वश में काल, वो महाकाल।
शत्रु न माने, वो अजातशत्रु,
दिनों के सखा, वो दीनबंधु।
प्रिय से दूरी, वही वियोग,
ईश से मांगो सदा संयोग।
आप सबों को अनेकों बार प्रणाम।
बहुत सुंदर
हटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ। कविता द्वारा पर्यायवाची शब्द और शब्दसमूह के लिए एक शब्द, एक अनूठा प्रयास। गनेश गनी जी द्वारा कवि निरंजन श्रोत्रिय के कविताकर्म पर उत्कृष्ट आलेख, प्रसून जोशी जी की कविता एवं अन्य लिंक भी बहुत अच्छे हैं। आदरणीया विभा दीदी की जानी पहचानी शैली तो अंक की खास विशेषता है ही।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ, एक बात खटकी।
"शायद पुनः भेंट होगी" की जगह "पुनः भेंट होगी" होना चाहिए। सादर व सस्नेह।
बहुत सुंदर आर्टिकल।
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