---

शनिवार, 8 मई 2021

3022... अभ्यस्त


हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...

अति संवेदनशील होना , कभी-कभी खतरनाक हो जाता है...। किसी आपदा के आने पर तो पहले चिन्ता होती है... फिर भयावहता महामारी से भय पैदा होता है... भय से विरक्ति और विरक्ति से अभ्यस्त हो जाना होता है... 
कथा स्वयं की आत्मकथा
रीति पुरानी वही प्रथा
कहा जो ऊपर उपर्युक्त
लगा आरोप वही अभियुक्त
हो अभ्यास वही अभ्यस्त
देश में निष्ठा देशभक्त
सौ का संग्रह बने शतक
दस वर्षों को कहें दशक
आश्वस्त हूं..
सर्प क्यों इतने चकित हो 
दंश का अभ्यस्त हूं
पी रहा हूं विष युगों से 
सत्य हूं आश्वस्त हूँ
ये मेरी माटी लिए है 
गंध मेरे रक्त की 
जो कहानी कह रही है 
अपनी क्षमता से,
विदेशी कंपनियों को संवारने में ||
हम बेहाल हैं ,
महवे ख्याल हैं,
उनकी अक्ल में, उनकी शक्ल में ,
हम मस्त हैं अभ्यस्त हैं,
उनकी नक़ल में ||
हम लगे हैं,
अपना सब कुछ हारने में,
चहचहाहट होगी चालू ,
जब पौ फटेगी कुछ क्षण में ।12।
वृक्षों की स्याह परछाइयाँ
अब हरित होने लगी हैं,
अंधेरे की अभ्यस्त आँखें
प्रकाश की बाट जोने लगी हैं ।16।
इस नपी तुली दुनिया में
पहले प्यार की कोई शर्त नहीं होती
वह हो जाता है यूं ही
कभी भी, किसी से भी, कहीं भी
लेकिन फिर भी गुलाब अपना इकलौता रंग
सौंपता है उसी क्षण
आगामी इंद्रधनुष को।

>>>>>>><<<<<<<
शायद पुन: भेंट होगी...
>>>>>>><<<<<<<

11 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी,सुप्रभात !
    दूर कहीं जो आशा की किरण है,उसका अहसास कराती हुई उत्कृष्ट रचना । सब अच्छा होगा,और आपसे अक्सर भेंट होगी,आप स्वस्थ रहें,सभी स्वस्थ रहें,इसी शुभकामना के साथ..ज्यादा सिंह ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमन
    उच्चकोटि की रचनाएं
    एक कविता के माध्यम से
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय दीदी,

    एक कवि का भावपूर्ण परिचय, कविता के माध्यम से पर्यायवाची सिखाने के रोचक और अद्भुत प्रयास के साथ प्रसून जोशी की अनमोल रचना। मन को स्पर्श कर गईं। आजके नायाब अंक में शामिल सुंदर रचनाओं के रचियताओं को सादर नमन। आपको हार्दिक आभार अभ्यस्त जैसे। नीरस विषय पर। लाजवाब रचनाएं ढूंढने के श्रम साध्य कार्य के लिए 🙏🙏❤️❤️🌷💐

    जवाब देंहटाएं
  4. सर्प क्यों इतने चकित हो
    दंश का अभ्यस्त हूं
    पी रहा हूं विष युगों से
    सत्य हूं आश्वस्त हूँ
    ***प्रसून जोशी***"
    👌👌👌👌🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया मैम, अत्यंत- अत्यंत सुंदर प्रस्तुति। हर एक रचना पढ़ कर आनंद आया।"अभ्यस्त"शब्द पर केंद्रित एक विविध और प्रेरणादायक प्रस्तुति।
    शनिवार की यह विशेष प्रस्तुति से बहुत कुछ सीखने को मिलता है और हर शब्द के अनेक अर्थ और उस से जुड़े अनेक भाव और विचार भी मिलते हैं। हृदय से आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए जो प्रेरणा भी देती है और आशा की किरण भी दिखलाती है।आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  6. पर्यायवाची शब्द और शब्द समूह के एक शब्द वाली कविता की प्रेरणा से मेरे मन में कुछ पंक्तियाँ आईं।
    मृत्यु का समय, वही काल,
    जिसके वश में काल, वो महाकाल।
    शत्रु न माने, वो अजातशत्रु,
    दिनों के सखा, वो दीनबंधु।
    प्रिय से दूरी, वही वियोग,
    ईश से मांगो सदा संयोग।
    आप सबों को अनेकों बार प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी रचनाएँ। कविता द्वारा पर्यायवाची शब्द और शब्दसमूह के लिए एक शब्द, एक अनूठा प्रयास। गनेश गनी जी द्वारा कवि निरंजन श्रोत्रिय के कविताकर्म पर उत्कृष्ट आलेख, प्रसून जोशी जी की कविता एवं अन्य लिंक भी बहुत अच्छे हैं। आदरणीया विभा दीदी की जानी पहचानी शैली तो अंक की खास विशेषता है ही।
    और हाँ, एक बात खटकी।
    "शायद पुनः भेंट होगी" की जगह "पुनः भेंट होगी" होना चाहिए। सादर व सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।